समाज में नए प्रकार के अपराध, आतंकवाद और वैचारिक युद्ध उभर रहे हैं : राजनाथ

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नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि एक ओर जहां सीमाओं पर अस्थिरता है, वहीं समाज में नए प्रकार के अपराध, आतंकवाद और वैचारिक युद्ध उभर रहे हैं।

पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर यहां राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए सिंह ने यह भी कहा कि सेना और पुलिस अलग-अलग मोर्चों पर कार्य करते हैं लेकिन उनका मिशन एक ही है – राष्ट्र की रक्षा करना।

उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लिए राष्ट्र की बाह्य और आंतरिक सुरक्षा में संतुलन बनाना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

इस कार्यक्रम के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त परेड आयोजित की गई।

वर्तमान चुनौतियों पर रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां सीमाओं पर अस्थिरता है, वहीं समाज में नए प्रकार के अपराध, आतंकवाद और वैचारिक युद्ध उभर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अपराध अधिक संगठित, अदृश्य और जटिल हो गया है तथा इसका उद्देश्य समाज में अराजकता पैदा करना, विश्वास को कमजोर करना तथा राष्ट्र की स्थिरता को चुनौती देना है।

सिंह ने अपराध रोकने की अपनी आधिकारिक जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ समाज में विश्वास बनाए रखने के नैतिक कर्तव्य को पूरा करने के लिए पुलिस की सराहना की।

उन्होंने कार्यक्रम में शामिल हुए पुलिस कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अगर आज लोग चैन की नींद सो पा रहे हैं, तो इसका कारण हमारे सतर्क सशस्त्र बलों और सतर्क पुलिस पर उनका भरोसा है। यही भरोसा हमारे देश की स्थिरता की नींव है।’’

लंबे समय से आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती रही नक्सली समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सिंह ने कहा कि पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन के ठोस और संगठित प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि समस्या बढ़े नहीं और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने राहत की सांस ली।

उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि अगले वर्ष मार्च तक नक्सल समस्या समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के अथक प्रयासों के कारण यह समस्या अब इतिहास बनने की कगार पर है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि नक्सल समस्या मार्च 2026 तक समाप्त हो जाएगी।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘इस वर्ष कई शीर्ष नक्सलियों का सफाया किया गया है। जो पहले राज्य के खिलाफ हथियार उठाते थे, वे अब आत्मसमर्पण कर रहे हैं और विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में भारी कमी आई है।

उन्होंने कहा, ‘‘जो इलाके कभी नक्सलियों के गढ़ थे, वे अब शिक्षा के गढ़ बन रहे हैं। जो इलाके कभी लाल गलियारे के नाम से जाने जाते थे, वे अब विकास के गलियारों में तब्दील हो गए हैं। इस सफलता में हमारी पुलिस और सुरक्षा बलों का अहम योगदान है।’’

सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय तक एक राष्ट्र के रूप में हमने पुलिस के योगदान को पूरी तरह से मान्यता नहीं दी। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने हमारे पुलिस बलों की स्मृतियों को सम्मानित करने के लिए 2018 में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक की स्थापना की।’’

उन्होंने कहा, “इसके अलावा पुलिस को अत्याधुनिक हथियार और बेहतर सुविधाएं प्रदान की गई हैं। अब उनके पास निगरानी प्रणाली, ड्रोन, फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं और डिजिटल पुलिसिंग जैसे आधुनिक साधन हैं।’’

पुलिस स्मृति दिवस हर साल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के उन 10 जवानों की याद में मनाया जाता है, जो 1959 में इसी दिन लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में मारे गए थे।

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