कुछ ही मंचों तक सेवाओं के केंद्रीकरण से उत्पन्न जोखिम पर ध्यान देने की जरूरत: डिप्टी गवर्नर

0
image_750x_6491be9ebced7741

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने कहा है कि आंकड़ों पर अत्यधिक निर्भरता और कुछ ही मंचों तक सेवाओं के केंद्रीकरण से उत्पन्न डिजिटल जोखिमों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो ये वित्तीय प्रणाली को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

स्वामीनाथन ने कहा कि डिजिटल नवोन्मेष भुगतान से आगे बढ़कर समावेश को बढ़ा रहा है। छोटी राशि के बीमा और पेंशन उत्पाद तेजी से डिजिटल मंच के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे कम आय वाले परिवारों को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने में मदद मिल रही है।

उन्होंने छह अक्टूबर, 2025 को ‘डिजिटल नवाचार के माध्यम से वित्तीय समावेश को आगे बढ़ाना’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सीमा पार यूपीआई लिंक धन प्रेषण को तेज, सस्ता और अधिक निर्बाध बना रहे हैं, जिससे औपचारिक चैनल में विश्वास मजबूत हो रहा है।

डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक में, हम एक ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जहां नवोन्मेष जिम्मेदारी से आगे बढ़ सके।’’

स्वामीनाथन ने कहा कि नियामक सैंडबॉक्स, नवोन्मेष केंद्र और डिजिटल वित्तीय सेवाओं के लिए सक्षम ढांचे जैसे उपायों के जरिये, आरबीआई सुरक्षित, टिकाऊ और ग्राहक-केंद्रित नए समाधानों के विकास को प्रोत्साहित करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, हम संचालन, जोखिम प्रबंधन और ग्राहक सुरक्षा पर भी जोर देते हैं, ताकि तकनीकी प्रगति हमेशा वित्तीय प्रणाली में मजबूती और विश्वास के साथ मेल खाए।’’

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) और डिजिटल मंच और मिश्रित वित्तीय मॉडल (कर्ज, भुगतान, बीमा आदि) के तेजी से उदय ने वित्तीय प्रणाली की सीमाओं का विस्तार किया है और नए प्रकार के जोखिम पैदा किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ये केवल डिजिटल रूप में पारंपरिक जोखिम नहीं हैं, बल्कि एल्गोरिथम आधारित निर्णय लेने, डेटा पर अत्यधिक निर्भरता, कुछ मंच तक सीमित सेवाओं के केंद्रीकरण और गहन तकनीकी अंतर्संबंधों से उत्पन्न होने वाले नए आयाम हैं।’’

स्वामीनाथन ने कहा कि अगर इन जोखिमों का प्रबंधन नहीं किया गया, तो ये व्यक्तिगत संस्थानों से व्यापक प्रणाली में तेजी से फैल सकते हैं।

डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘यही कारण है कि हम वित्तीय संस्थानों को मजबूत व्यवस्था के लिए कदम उठाने और अपने संचालन ढांचे में डिजिटल जोखिम जागरूकता और सुरक्षा उपायों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। नवाचार और सुरक्षा विरोधी लक्ष्य नहीं हैं। जब इन्हें अच्छी तरह से संतुलित किया जाता है, तो ये एक-दूसरे को मजबूत करते हैं और स्थायी विश्वास का निर्माण करते हैं।’’

उन्होंने यह भी कहा कि भारत का मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा उसके वित्तीय समावेश प्रयासों का आधार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *