नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज में डूबे समूह जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी भिलाई जेपी सीमेंट के खिलाफ 45 करोड़ रुपये की चूक के लिए दिवाला कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है।
एनसीएलटी की कटक पीठ का यह निर्देश कंपनी के परिचालन ऋणदाता सिद्धगिरि होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका स्वीकार किए जाने के बाद आया है। सिद्धगिरि होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड पर भिलाई जेपी सीमेंट को कोयले की आपूर्ति के एवज में 45 करोड़ रुपये बकाया थे।
एनसीएलटी की दो सदस्यीय पीठ ने एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) भी नियुक्त किया जिसने कंपनी के निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया है। साथ ही दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों के तहत कंपनी को बिक्री, दीवानी मुकदमों आदि के माध्यम से परिसंपत्तियों पर ऋण स्थगन के तहत संरक्षण प्रदान किया है।
एनसीएलटी के सदस्य दीप चंद्र जोशी और बनवारी लाल मीणा की पीठ ने कहा, ‘‘ हम यह मानने के लिए इच्छुक हैं कि एक बकाया परिचालन ऋण, एक चूक मौजूद है और तदनुसार वर्तमान आवेदन…भिलाई जेपी सीमेंट के सीआईआरपी शुरू करने के लिए दिवाला एवं दिवालियापन नियम, 2016 के नियम छह के साथ संहिता की धारा नौ के तहत अनुमति दी जाती है और कॉर्पोरेट देनदार को स्वीकार किया जाता है।’’
भिलाई जेपी सीमेंट अपने परिचालन ऋणदाता सिद्धगिरि होल्डिंग्स से नियमित रूप से कोयला खरीद रही थी। हालांकि सितंबर 2021 और जून 2022 के बीच 2,000 मीट्रिक टन (प्रत्येक) कोयले के तीन खरीद आदेशों (जिनकी कुल मात्रा 6,000 मीट्रिक टन थी) को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया।
क्रय आदेशों के अनुसार, प्रत्येक का भुगतान भिलाई जेपी सीमेंट को आपूर्ति के 15 दिन बाद करना था। आपूर्तिकर्ता ने इस अवधि के दौरान कई ‘बिल’ बनाए और सीमेंट निर्माता ने मांग का केवल एक आंशिक भुगतान किया।
अंततः इसने 22 जून 2024 को आईबीसी के तहत कुल 45.40 करोड़ रुपये की राशि का एक वैधानिक मांग नोटिस भेजा, जिसमें 30.08 करोड़ रुपये मूलधन के लिए और 15.32 करोड़ रुपये 24 प्रतिशत की दर से ब्याज के तौर पर मांगे गए थे जिसका भुगतान न किए जाने का दावा किया गया।
कंपनी से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर सिद्धगिरी होल्डिंग्स ने आईबीसी की धारा नौ के तहत एक याचिका दायर करते हुए एनसीएलटी का रुख किया था।