कोहिमा, 19 अक्टूबर (भाषा) नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को एनपीएफ विधायक दल का नेता चुना गया है।
यह निर्णय शनिवार को रियो की पार्टी ‘नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी’ (एनडीपीपी) की ओर से ‘नगा पीपुल्स फ्रंट’ (एनपीएफ) में विलय संबंधी एक प्रस्ताव पारित करने के बाद लिया गया।
यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री के आवासीय कार्यालय में शनिवार को आयोजित एनपीएफ विधायक दल की बैठक के बाद हुआ, जो एनडीपीपी के एनपीएफ में विलय के प्रस्ताव के बाद बुलाई गई थी।
रियो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘ मैं एनपीएफ विधायक दल का नेता चुने जाने पर अनुगृहित महसूस कर रहा हूं। हमने विधानसभा अध्यक्ष शेयरिंगैन लोंगकुमेर से मुलाकात की और अपने दस्तावेज सौंपे। मेरे सहयोगियों और पार्टी संगठनों ने मेरे नेतृत्व पर जो विश्वास जताया है उसके लिए उनका और ईश्वर का आभार व्यक्त करता हूं।’’
सूत्रों के अनुसार, एनपीएफ के अध्यक्ष अपोंग पोंगेनर और महासचिव अचुमबेमो किकोन ने भी विलय को स्वीकार करने वाले दस्तावेज आधिकारिक रूप से विधानसभा अध्यक्ष लोंगकुमेर को सौंप दिए।
इस विलय के साथ, 60 सदस्यीय विधानसभा में केवल दो सदस्यों वाली एनपीएफ अब 34 विधायकों के साथ मजबूत हो गई है।
एनपीएफ 21 अक्टूबर को कोहिमा में अपने 63वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक महासम्मेलन आयोजित करेगी। रियो ने 2002 में एस सी जामिर की कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देकर नगालैंड पीपुल्स काउंसिल (एनपीसी) की स्थापना की थी, जिसे बाद में नगालैंड से परे मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश तक विस्तारित करने के उद्देश्य से नगालैंड पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) का नाम दिया गया। रियो के नेतृत्व में, एनपीएफ ने 2003, 2008 और 2013 के तीन लगातार विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। उन्होंने 2014 में सांसद बनने पर अपनी विधानसभा सीट छोड़ दी।
हालांकि, आंतरिक मतभेदों के कारण रियो ने 2017 में एनपीएफ छोड़ दी और एनडीपीपी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भाजपा के साथ 40-20 सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर एनडीपीपी ने 2018 का चुनाव लड़ा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीएस) सरकार का गठन किया। उस समय एनपीएफ, तत्कालीन मुख्यमंत्री टी.आर. जेलियांग के नेतृत्व में 26 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समर्थन नहीं जुटा सकी।
एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन 2023 में फिर से सत्ता में लौटा, जिसे अन्य दलों राकांपा (7), एनपीपी (5), लोजपा (रामविलास) और आरपीआई (आठवले) (2-2), जदयू (1), और निर्दलीय (4) का समर्थन प्राप्त था।
सिर्फ दो विधायकों तक सिमटी एनपीएफ ने रियो सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया, जिससे 14वीं नगालैंड विधानसभा विपक्ष विहीन हो गई।