आज के प्रगतिशील युग में सब एक दूसरे से आगे निकलना चाहते हैं। अधिक से अधिक समय कामों में व्यस्त रहते हैं ताकि वे दौड़ में सबसे आगे रहें चाहे उसके पीछे उन्हें अपना भोजन अनियमित करना पड़े या भूखा रहना पड़े। भोजन के प्रति लोगों की लापरवाही बढ़ती जा रही है,बस पेट भरने के लिए कैसा भी बाज़ारी डिब्बाबंद, फास्टफूड, मसालेदार भोजन मिलना चाहिए। इस भोजन से पेट की तृप्ति भले ही हो जाए और जीभ को स्वाद भले ही अच्छा मिल जाये पर शरीर को यह भोजन कितनी पौष्टिकता प्रदान करता है, इसके बारे में भी जानकारी रखना जरूरी है। यदि तन स्वस्थ है तो दिमाग भी सही काम करता है और आगे बढ़ने के लिए स्फूर्ति प्रदान करता है। यह संभव है कि फास्ट फूड, डिब्बाबंद और बाजारी भोजन अधिक स्वादिष्ट होता है पर वास्तव में यह भोजन पौष्टिकता से विहीन होता है। इसलिए किसी भी प्रकार का भोजन करने से या बनाने से पूर्व यह ध्यान में रखें कि जो भोजन आप खा रहे हैं, उसमें पर्याप्त रेशा है या नहीं। आमतौर पर हम इस बारे में अधिक सोचते ही नहीं है कि ‘रेशा‘ पर्याप्त है या कम। आहार विशेषज्ञों के अनुसार हमें प्रतिदिन कम से कम 25 से 30 ग्राम तक रेशा‘ खाना चाहिए। ‘रेशे का सबसे अधिक असर हमारी पाचन क्रिया पर पड़ता हैं जो शरीर से सारी गंदगी, विषैले तत्व शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। यदि यही विषैले पदार्थ शरीर में ही रहें तो हमारा शरीर कई भयानक बीमारियों से ग्रस्त हो जाए। इससे हमारे शरीर में कैंसर, कब्ज जैसे रोग पैदा हो सकते हैं। ‘रेशेदार‘ भोजन हमें ताजे मौसमी फल और सब्जियों से आसानी से मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त सोयाबीन में ‘रेशा‘ र्प्याप्त मात्रा में मिलता है। ताजे़ मौसमी फलों में सेब (छिलके सहित), नाशपाती, पपीता, केला, संतरा आदि आते हैं। सब्जियों में पालक, पत्ता गोभी, खीरा, सभी प्रकार के साग, घीया आदि का नियमित रूप से सेवन करें। भोजन में सब्जियों के साथ चोकर युक्त रोटी, बिना पॉलिश के चावल आदि लेने चाहिए। नाश्ते में गेहूं या ज्वार का दलिया लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त अंकुरित दालें, मक्का, साबुत दालें, मूंगफली आदि का सेवन नियमित करना चाहिए। मैदे से बने खाद्य पदार्थ, फॉस्ट फूड, डिब्बाबंद भोजन का सेवन कम से कम करना चाहिए। यदि हम दैनिक भोजन में उपरोक्त खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन करें तो हमें पर्याप्त मात्रा में ‘रेशा‘ प्राप्त हो सकता है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ रह सकता है और हम आज की गहमा गहमी भरे जीवन में स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं। हमारे स्वास्थ्य संबंधी विचारों से हमारे बच्चे भी इस बात का लाभ उठा सकते हैं।