
लखीमपुर खीरी, (उप्र), 27 अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत कबीर दास की शिक्षाओं को आज भी प्रासंगिक बताते हुए लोगों से रोजमर्रा की जिंदगी में सादगी, समानता और अच्छे व्यवहार के उनके संदेश को अपनाने की सोमवार को अपील की।
आदित्यनाथ ने लखीमपुर खीरी के कबीरधाम आश्रम में स्मृति महोत्सव मेले में कहा, ‘‘जब हम संत कबीर दास को याद करते हैं तो हमें एक पुराने जमाने के संत याद आते हैं जिन्होंने अपने बेबाक शब्दों और दोहों से ‘निर्गुण भक्ति’ का रास्ता दिखाया और आम लोगों को आसान, स्थानीय भाषा में आत्मा और परमात्मा के मिलन को समझने में मदद की।’’
उन्होंने दशकों पहले कबीरधाम आश्रम शुरू करने वाले संतों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने अपने जीवन एवं सेवा के जरिए कबीर के संदेश की जीती-जागती भावना को आगे बढ़ाया।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं उन्हें नमन करता हूं और उनके सभी अनुयायियों को धन्यवाद देता हूं जो इस परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं।’’
आदित्यनाथ ने आज के दौर में कबीर की शिक्षाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘‘कबीर दास के शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे।’’
उन्होंने कहा कि जब लोग और अधिक दौलत कमाने की चाहत में डूबे हुए हैं तो ऐसे समय में कबीर की प्रार्थना ‘साई इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाए, मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाए’, संतोष का ऐसा संदेश देती है तो सदा प्रासंगिक रहने वाला है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘संत कबीर दास ने तुलसीदास और दूसरे संतों की तरह सिखाया कि कर्म जीवन का केंद्र है। अच्छे कामों से पुण्य मिलता है, बुरे कामों से दुख मिलता है और कोई भी अपने कामों के नतीजों से बच नहीं सकता।’’
आदित्यनाथ ने बताया कि कैसे कबीर दास ने अपनी ज़िंदगी में धार्मिक कट्टरता को तोड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘अपने आखिरी दिनों में कबीर ने काशी से मगहर जाने का फैसला किया जो एक ऐसी जगह है जिसके बारे में माना जाता था कि वहां मौत होने पर नरक मिलता है। उन्होंने यह साबित किया कि स्वर्ग और नर्क इंसान के कामों से बनते हैं, न कि भूगोल से। आज, वही जगह शांति की निशानी है, जहां उनकी समाधि अंधविश्वास को उनके द्वारा नकारे जाने का सबूत है।’’
उन्होंने कहा कि कबीर दास ने जाति के बंटवारे और छुआछूत का कड़ा विरोध किया था और वह उन्हें सामाजिक गिरावट एवं फूट का कारण मानते थे।
आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘कबीर दास, गुरु रामानंद और गुरु रविदास ने समाज को तब एकजुट किया जब जाति और पंथ ने उसे बांट रखा था। उनकी बातें तब भी काम की थीं और आज भी उतनी ही काम की हैं क्योंकि वे हमेशा रहने वाले ऐसे उसूलों पर टिकी हैं जो समय और हालात से परे हैं।’’
उन्होंने कहा कि संतों की आवाज से प्रेरित होकर अंदरुनी सुधार देश की तरक्की की चाबी है।
आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘हर समाज में अच्छाइयां और कमियां दोनों होती हैं। हमारा काम है कि हम आत्मनिरीक्षण और संतों के ज्ञान से मिली सीख से उन कमियों को ठीक करें ताकि हमारे मिलकर किए गए काम लोगों और देश की भलाई में योगदान दें।’’
