चीन की निर्यात पर रोक से भारत विशेष उर्वरकों की कीमतों में उछाल का कर रहा है सामना

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नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर (भाषा) चीन के 15 अक्टूबर से यूरिया और विशेष उर्वरकों के निर्यात को निलंबित करने के बाद भारत महत्वपूर्ण रबी (सर्दियों) फसल के सत्र से पहले उर्वरक की बढ़ी हुई कीमतों से निपटने की तैयारी कर रहा है। उद्योग जगत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही।

चीन ने 15 मई से 15 अक्टूबर तक बढ़े हुए निरीक्षणों के साथ उर्वरक निर्यात हाल ही में फिर से शुरू किया था, हालांकि उसने अब अगली सूचना तक निर्यात को निलंबित कर दिया है जिससे न केवल भारत बल्कि वैश्विक बाजार भी प्रभावित हो रहे हैं।

इस प्रतिबंध में टीएमएपी (तकनीकी मोनोअमोनियम फॉस्फेट) जैसे विशेष उर्वरक और एडब्लू जैसे यूरिया-समाधान उत्पाद साथ ही डीएपी तथा यूरिया जैसे पारंपरिक उर्वरक शामिल हैं।

घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ (एसएफआईए) के अध्यक्ष राजीब चक्रवर्ती ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ चीन ने 15 अक्टूबर से न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व बाजार के लिए निर्यात बंद कर दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि निर्यात पर रोक अगले पांच से छह महीनों तक रहेगी।’’

भारत अपने करीब 95 प्रतिशत विशेष उर्वरकों का आयात चीन से करता है, जिनमें टीएमएपी जैसे फॉस्फेट तथा एडब्लू जैसे उत्सर्जन नियंत्रण तरल पदार्थ शामिल हैं।

चक्रवर्ती ने कहा कि विशेष उर्वरकों की कीमतें जो पहले से ही असामान्य रूप से ऊंची बनी हैं उनके चीन द्वारा निर्यात प्रतिबंधों से 10-15 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।

भारत में सालाना करीब 2,50,000 टन विशेष उर्वरकों की खपत है जिसका 60-65 प्रतिशत उपयोग रबी सत्र के दौरान होता है। रबी सत्र अक्टूबर से मार्च तक चलता है।

उद्योग अधिकारी ने कहा कि चालू रबी सत्र की मांग को पूरा करना कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि व्यापारियों ने वैश्विक व्यापार एजेंसियों के माध्यम से पहले ही आपूर्ति सुनिश्चित कर ली है हालांकि कीमतों पर असर पड़ेगा।

चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘ अगर चीन के निर्यात पर प्रतिबंध मार्च 2026 के बाद भी जारी रहे तो यह चिंता का विषय होगा।’’

उन्होंने कहा कि बेहतर जल उपलब्धता से रबी सत्र मार्च तक बढ़ सकता है। भारत के पास दक्षिण अफ्रीका, चिली और क्रोएशिया जैसे वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत हैं लेकिन ये केवल एक या दो उत्पादों के लिए ही हैं।

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