जनसांख्यिकीय लाभांश का उचित उपयोग न किया गया तो यह बोझ बन सकता है: रीजीजू

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नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक युवा राष्ट्र है लेकिन बड़ी युवा आबादी का यदि सही दिशा में उपयोग नहीं किया गया तो यह ‘‘जनसांख्यिकीय बोझ’’ बन सकता है।

रीजीजू ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर यहां मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ (डेमोग्राफिक डिविडेंड) का अर्थ उस आर्थिक विकास से है जो तब होता है जब किसी देश में काम करने लायक उम्र के लोगों की संख्या, काम करने के लिए बहुत कम उम्र या बहुत बुजुर्ग लोगों की तुलना में ज्यादा होती है।

सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भी सेना एवं रक्षा थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज’ द्वारा आयोजित ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग: यंग लीडर्स फोरम’ में मंच पर उपस्थित थे।

रीजीजू ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने का लक्ष्य केवल ‘‘कल्पना मात्र’’ नहीं है, बल्कि यह ‘‘हमारे देश को दुनिया में अग्रणी राष्ट्र बनाने की यात्रा’’ है।

मंत्री ने कहा कि उनका मानना ​​है कि सशस्त्र बलों के पराक्रम और सही भावना से संपन्न युवाओं के सहयोग से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

बाद में, उपस्थित लोगों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को ‘‘परिसंपत्ति’’ बनना चाहिए, न कि ‘‘बोझ’’।

उन्होंने कहा कि वे इसे भारत के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश कहते हैं, लेकिन यदि इसका उचित दिशा में उपयोग नहीं किया गया तो यह एक ‘‘बोझ’’ बन सकता है, इसलिए यह एक ‘‘बहुत महत्वपूर्ण अवधि’’ है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर प्रेस वार्ता में प्रमुख चेहरों में से एक कर्नल सोफिया कुरैशी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं।

अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने युवाओं से मुस्तैद रहने, गलत सूचनाओं से बचने के लिए सतर्क रहने का आग्रह किया और अधिक से अधिक जागरूकता लाने की वकालत की।

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