दिल्ली में प्रतिमा से लेकर केरल में संग्रहालय तक, पटेल की विरासत की छाप समूचे भारत में है

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नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली में संसद भवन के पास एक चौराहे पर 1963 में तत्कालीन राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन द्वारा अनावृत सरदार वल्लभभाई पटेल की कांस्य प्रतिमा से लेकर भारतीय कानून प्रवर्तन के इतिहास को प्रदर्शित करने वाले पटेल के नाम पर निर्मित केरल का पुलिस संग्रहालय तक, आज सरदार वल्लभभाई पटेल की विरासत देश भर में सड़कों, सार्वजनिक भवनों और संस्थानों के नामों में जीवित है।

आज स्वतंत्रता सेनानी पटेल की 150वीं जयंती है जिन्होंने देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया।

आज के गुजरात के करमसद में 1875 में हुए उनके जन्म के उपलक्ष्य में हर वर्ष 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

‘भारत के लौह पुरुष’ के नाम से प्रसिद्ध इस राष्ट्रवादी नेता का 15 दिसंबर, 1950 को निधन हो गया था। उनके निधन के बाद विभिन्न शहरों में कई सार्वजनिक स्थानों, पार्कों और सड़कों का नामकरण या पुनर्नामकरण उनके सम्मान में किया गया।

दिल्ली में संसद मार्ग और अशोक रोड के चौराहे पर स्थित एक सार्वजनिक चौराहे पर उनकी एक सुंदर प्रतिमा स्थापित की गई और अब इसका नाम ‘पटेल चौक’ है। पास के दिल्ली मेट्रो के एक स्टेशन का नाम भी पटेल के नाम पर रखा गया है।

‘सिविक अफेयर्स’ पत्रिका के अक्टूबर 1963 के संस्करण में प्रकाशित एक लेख के अनुसार तत्कालीन राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने दिल्ली में 18 सितंबर, 1963 को एक चौराहे पर इसका अनावरण किया था जिसका नाम ‘‘सरदार चौक’’ रखा गया है।

पत्रिका में कहा गया है, ‘‘प्रतिमा पर अंकित शिलालेख – ‘सरदार वल्लभभाई पटेल – भारत की एकता के निर्माता’ को प्रधानमंत्री नेहरू ने चुना है। तीन टन वजनी, 13 फुट ऊंची यह कांस्य प्रतिमा 18 फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है।’’

अनावरण समारोह की एक पुरानी तस्वीर इंटरनेट पर उपलब्ध है जिसमें राधाकृष्णन संबोधित कर रहे हैं और नेहरू उनके पास बैठे हैं।

नगर निगम के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि 150वीं जयंती के अवसर पर प्रतिमा का रंग रोगन कर उसकी मरम्मत की गई, लैंप पोस्ट पर भी नया रंग-रोगन किया गया है और फूलों की क्यारियों को सजाया गया है।

पटेल चौक के सामने एक पुरानी सरकारी इमारत का नाम सरदार पटेल भवन है।

पटेल को सम्मानित करने के लिए दिल्ली में मदर टेरेसा क्रीसेंट से धौला कुआं क्षेत्र तक जाने वाली एक प्रमुख सड़क का नाम सरदार पटेल मार्ग रखा गया है। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे किचनर रोड के नाम से जाना जाता था, लेकिन आजादी के बाद इसका नाम बदल दिया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा संचालित संस्थान पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट और लोधी एस्टेट स्थित सरदार पटेल विद्यालय की स्थापना 1958 में गुजरात एजुकेशन सोसाइटी ने की थी और जंतर-मंतर रोड पर स्थित एक ब्रिटिशकालीन इमारत में स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल स्मारक ट्रस्ट पुस्तकालय पटेल की शानदार विरासत की याद दिलाते हैं।

गुजरात के केवड़िया में एकता नगर में स्थित 182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर शुक्रवार को इस नेता की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का आयोजन किया गया।

एकता और देशभक्ति का संदेश फैलाने के लिए दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।

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