सुखी दांपत्य जीवन जीना हर व्यक्ति की लालसा होती है पर दांपत्य जीवन में सुख व खुशियां लाने के लिए पति-पत्नी दोनों को ही प्रयास करने पड़ते हैं। परेशानियां व तनाव तो हर दंपति के जीवन में आते हैं। कुछ दंपति तो इन परेशानियों और तनावों से जूझते हुए भी अपने दांपत्य जीवन को प्रभावित नहीं होने देते पर कुछ दंपति परेशानियों, तनावों को खुद जन्म देते हैं व अपनी समीपता को गंवा देते हैं जिससे उनमें भावनात्मक दूरी आ जाती है। आपके दांपत्य जीवन में यह दूरी न आए, इसके लिए आपका व्यवहार कुछ ऐसा होना चाहिएः- सफल दांपत्य जीवन के लिए जरूरी है सांझेदारी। एक दूसरे के भावों, विचारों, आकांक्षाओं, आशाओं, अपेक्षाओं के तो भागीदार बनें ही, साथ ही दर्द भरी अनुभूतियों और क्रोध के भी भागीदार बनें। तभी तो आप सही सांझेदारी निभा पाएंगे। एक दूसरे से कुछ न छिपाएं। छोटी-छोटी बातें जो बेशक एक के लिए गंभीर न हांे, दूसरे के लिए गंभीर हो सकती हैं। ऐसी स्थिति के उत्पन्न होने से बचने का तरीका यही है कि एक दूसरे से कुछ न छिपाएं। एक दूसरे की भावनाओं व इच्छाओं को समझें। अपने जीवन साथी की जरूरतों को समझें और उन्हें पूरा करने का प्रयत्न करें। अगर आपके जीवन साथी में कोई कमी है तो उसकी कमियां गिनने या गिनाने की बजाय उसकी अच्छी बातों पर ध्यान दें। कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता। अगर आप यह सोचेंगे कि आपके जीवन साथी के गुण उसकी कमियों से कहीं ज्यादा बढ़कर हैं तो आपका दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहेगा। सफल दांपत्य जीवन के लिए जरूरी है पति-पत्नी एक दूसरे के गुणों व अच्छाइयों की सराहना भी करें। समय-समय पर एक दूसरे को उपहार दें। उपहार देने का उद्देश्य होता है एक दूसरे को प्रसन्न देखने की इच्छा। जब आप अपने जीवन साथी को कोई उपहार देते हैं तो उसके चेहरे पर आयी खुशी को आप स्वयं पढ़ सकते हैं। प्यार के दो बोल बोलना पति-पत्नी दोनों के लिए बहुत जरूरी होता है। प्रायः यही समझा जाता है कि प्यार को अभिव्यक्ति की जरूरत नहीं। वह तो महसूस किया जाता है पर उसे महसूस कराने के लिए अगर आप बोल कर उसकी अभिव्यक्ति करेंगे तो आप स्वयं अपने जीवन साथी के चेहरे पर आई उस दबी मुस्कान को महसूस कर सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आप जीवन का आनंद लें तो हमेशा सकारात्मक पक्ष का चुनाव करें। कभी-कभी अपने जीवन साथी के साथ एकांत के क्षण बिताएं। सुखी दांपत्य जीवन के लिए जरूरी है एकांत का अवसर। मित्रों से मिलना व रिश्तेदारों के यहां जाना अच्छा तो लगता है पर फिर भी यह किसी भी तरह जीवन साथी के साथ निजी एकांत क्षणों की बराबरी नहीं कर सकते। पति-पत्नी को एक दूसरे से जुड़े रहने के प्रयत्न अवश्य करने चाहिए जैसे सुबह चाय साथ पीना, कुछ देर इकट्ठे बैठना, दिनचर्या के बारे में एक दूसरे से बातचीत आदि। इससे दोनों को लगेगा कि वे एक दूसरे का ख्याल रखते हैं और उन्हें निकटता का अहसास होगा।