नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि प्रौद्योगिकी की वजह से पुलिस प्रणाली में काफी बदलाव आया है और ‘डिजिटल अरेस्ट’ लोगों के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बन गया है।
राष्ट्रपति भवन में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि लोगों, विशेष रूप से पिछड़े लोगों को पुलिस को समर्थन के एक स्रोत के रूप में देखना चाहिए और उससे डरना नहीं चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और “हमें अपनी आर्थिक प्रगति को बनाए रखने व तेज करने के लिए बड़े पैमाने पर सार्वजनिक और निजी निवेश की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा, “किसी भी राज्य या क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए कानून-व्यवस्था एक आवश्यक पूर्व-शर्त है। निवेश और विकास को बढ़ावा देने में प्रभावी पुलिसिंग आर्थिक प्रोत्साहन जितनी ही महत्वपूर्ण है।”
मुर्मू ने कहा कि युवा अधिकारियों के नेतृत्व में भविष्य के लिए तैयार पुलिस बल ‘विकसित भारत’ के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।”
मुर्मू ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने पुलिसिंग के क्षेत्र को काफी हद तक बदल दिया है। उन्होंने कहा, “लगभग 10 साल पहले, ‘डिजिटल अरेस्ट’ शब्द को समझना असंभव होता। आज, यह लोगों के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है।”
‘डिजिटल अरेस्ट’ का अर्थ भय, छल और धमकी का इस्तेमाल करके पीड़ितों से पैसे ऐंठना होता है।
मुर्मू ने यह भी कहा कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के सबसे अधिक उपयोगकर्ता हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, “इसका असर पुलिस व्यवस्था पर भी पड़ेगा। आपको एआई समेत नई तकनीकों को अपनाने में उन लोगों से कई कदम आगे रहना होगा जो इन तकनीकों का गलत इरादे से इस्तेमाल करते हैं।”