नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड (जीएमएलआर) परियोजना के लिए प्रतिपूरक वनरोपण के अधीन और अधिक पेड़ों को गिराने की अनुमति मांगने वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को महानगरपालिका के वृक्ष प्राधिकरण को परियोजना के लिए 95 पेड़ों को काटने की अनुमति दी थी।
बीएमसी के वकील ने बृहस्पतिवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ को सूचित किया कि और अधिक पेड़ों को गिराने की आवश्यकता है और इस पहलू पर यथाशीघ्र विचार किया जाना चाहिए। पेड़ों की यह कटाई प्रतिपूरक वनीकरण के अधीन होगी।
गौरतलब है कि जब किसी परियोजना के लिए किसी वन क्षेत्र की कटाई की जाती है तो उसके बदले में नए पेड़ लगाने और नए वन क्षेत्र विकसित करने की प्रक्रिया को प्रतिपूरक वनीकरण कहते हैं।
पीठ याचिका को सुनवाई के वास्ते सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए राजी हो गयी।
जीएमएलआर परियोजना का उद्देश्य वेस्टर्न एक्सप्रेस राजमार्ग से ईस्टर्न एक्सप्रेस राजमार्ग तक सड़क संपर्क विकसित करना है ताकि मुलुंड और गोरेगांव के बीच यात्रा का समय लगभग एक घंटे कम हो सके।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए जिम्मेदार बीएमसी ने विकास के पहले चरण के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति उच्चतम न्यायालय से मांगी थी।
महानगरपालिका ने पहले पीठ को प्रतिपूरक वनीकरण के नियमों का पालन करने का आश्वासन दिया था, जिसमें काटे गए पेड़ों के बदले लगाए जाने वाले पौधों की ‘जियो-टैगिंग’ से संबंधित नियम भी शामिल थे।