निर्वाचन आयोग से बिहार की अंतिम मतदाता सूची में गलतियों को सुधारने की अपेक्षा: न्यायालय
Focus News 16 October 2025 0
नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद को ‘सटीक’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि याचिकाकर्ता राजनीतिक दल और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) केवल इस प्रक्रिया को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाकर खुश हैं।
आयोग ने उच्चतम न्यायालय से यह भी कहा कि अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद से नाम हटाने के खिलाफ किसी मतदाता ने एक भी अपील दायर नहीं की है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रैलियों के कारण राजनीतिक दलों के सुनवाई से अनुपस्थित रहने का संज्ञान लेते हुए कहा कि वह निर्वाचन आयोग से अपेक्षा करता है कि वह बिहार में एसआईआर के बाद तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची में टाइपिंग संबंधी त्रुटियों और अन्य गलतियों की एक जिम्मेदार प्राधिकार के रूप में जांच करे और सुधारात्मक उपाय प्रस्तुत करे।
बिहार में एसआईआर कराने के आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध करते हुए आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के ‘छिपे हुए इरादे’ हैं और वे राजनीतिक दलों के चुनावी हितों के लिए एसआईआर प्रक्रिया, अंतिम मतदाता सूची और आयोग को बदनाम करने के लिए केवल ‘झूठे आरोप’ लगाकर खुश हैं।
निर्वाचन आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) की नियुक्ति को छोड़ दें तो राजनीतिक दलों और संगठनों ने यह सुनिश्चित करने में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दिया कि सभी पात्र मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जाए।
याचिका में कहा गया है, ‘‘राजनीतिक दलों और याचिकाकर्ताओं का दृष्टिकोण निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाने और एसआईआर प्रक्रिया में त्रुटियां बताने का रहा है। इसके विपरीत, आयोग ने न केवल 90,000 से अधिक बीएलओ नियुक्त किए, बल्कि राजनीतिक दलों को भी शामिल किया और बीएलए नियुक्त किए।’’
आयोग ने कहा कि इस अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता भी उपलब्ध कराई, फिर भी आपत्तियों और सुधार आवेदनों की संख्या न्यूनतम थी।
इसमें कहा गया है, ‘‘इससे पता चलता है कि एसआईआर प्रक्रिया सटीक थी। आपत्तियों के समाधान और अंतिम मतदाता सूची से लगभग 3.66 लाख व्यक्तियों के नाम हटाए जाने के बाद भी अब तक कोई अपील दर्ज नहीं की गई है।’’
निर्वाचन आयोग ने बताया कि याचिकाकर्ता एनजीओ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने आरोप लगाने का प्रयास किया है कि मुसलमानों को अनुपातहीन रूप से बाहर रखा गया है (मसौदा मतदाता सूची से बाहर रखे गए 65 लाख मतदाताओं में 25 प्रतिशत और अंतिम रूप से हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं में 34 प्रतिशत) जो नाम पहचान के लिए किसी सॉफ्टवेयर पर आधारित था, लेकिन इसकी प्रामाणिकता, सटीकता या उपयुक्तता पर टिप्पणी नहीं की जा सकती।
उसने कहा, ‘‘इस सांप्रदायिक दृष्टिकोण की निंदा की जानी चाहिए। मतदाता सूची डेटाबेस में किसी भी मतदाता के धर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं है…’’।
उसने कहा कि जिन 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं, उन्हें इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि या तो वे इस दुनिया में नहीं हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए या एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत थे, इसलिए उन्होंने गणना फॉर्म जमा नहीं किए थे।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर के लिए निर्धारित करते हुए कहा कि उसे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आयोग अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगा और चुनाव सुचारू रूप से संपन्न कराएगा।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि निर्वाचन आयोग को यह बताना चाहिए कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कितने मतदाताओं के नाम हटाए गए और किस संशोधन के लिए उन्हें हटाया गया।
पीठ ने कहा कि पहले चरण में मतदान वाले कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची 17 अक्टूबर को ‘फ्रीज’ कर दी जाएगी, जबकि दूसरे चरण में मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची 20 अक्टूबर को ‘फ्रीज’ कर दी जाएगी।
शीर्ष अदालत ने सात अक्टूबर को निर्वाचन आयोग से उन 3.66 लाख मतदाताओं का विवरण उपलब्ध कराने को कहा था जो मसौदा मतदाता सूची का हिस्सा थे, लेकिन बिहार की एसआईआर प्रक्रिया के बाद तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची से वे बाहर कर दिए गए थे। अदालत ने कहा था कि इस मामले में ‘‘भ्रम’’ है।
निर्वाचन आयोग ने 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करते हुए कहा कि इसमें मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई है, जो निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले 7.89 करोड़ थी।
हालांकि अंतिम संख्या एक अगस्त को जारी की गई मसौदा सूची में दर्ज 7.24 करोड़ मतदाताओं से 17.87 लाख अधिक है। इस सूची में मृत्यु, प्रवास और मतदाताओं के दोहराव सहित विभिन्न कारणों से 65 लाख मतदाताओं के नाम मूल सूची से हटा दिए गए थे।
मसौदा सूची में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं जबकि 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं जिससे कुल मतदाताओं की संख्या में 17.87 लाख की वृद्धि हुई है।
बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीट पर छह नवंबर को चुनाव होंगे, जबकि शेष 122 सीट पर 11 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी।