छठ पूजा उपवास और हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य

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इस समय भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में छठ पूजा की धूम है। स्वास्थ्य की दृष्टि से छठ पूजा करने से कई फायदे होते हैं, जैसे शरीर की शुद्धि, रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, और मानसिक शांति की प्राप्ति। यह व्रत शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करता है, पाचन तंत्र को सुधारता है, और सूर्य की रोशनी से विटामिन-डी प्राप्त करने में मदद करता है।
      छठ पूजा के वैज्ञानिक महत्व में सूर्य की पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाव, शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम का संतुलन, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि और शरीर को डिटॉक्सिफाई (शुद्ध) करना शामिल है। यह पर्व कार्तिक महीने में मनाया जाता है, जब सर्दी शुरू होती है और सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित होती हैं।

शारीरिक लाभ :-
डिटॉक्सिफिकेशन (Detoxification):
     लंबे उपवास के दौरान शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे शारीरिक तंत्र को आराम मिलता है और त्वचा स्वस्थ रहती है।

विटामिन-डी की प्राप्ति:- सुबह और शाम की सूर्य की रोशनी में अर्घ्य देने से शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन-डी मिलता है, जो हड्डियों और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

इम्यूनिटी में वृद्धि: –

छठ में चढ़ने वाले विशेष फल, सब्जियां और जड़ें जैसे डाभ नींबू और सिंघाड़ा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
हृदय और रक्तचाप नियंत्रण: व्रत के दौरान कम वसा और कम नमक वाला भोजन करने से हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम होता है और रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

जोड़ों के दर्द से राहत: –

कम नमक का सेवन करने से सूजन और जोड़ों के दर्द में कमी आती है।

पाचन तंत्र में सुधार:-

उपवास और प्राकृतिक भोजन के सेवन से पाचन तंत्र सुधरता है।

हार्मोनल संतुलन:- 

लंबे उपवास से हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मदद मिलती है जिससे कई महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार हो सकता है।

मानसिक शांति: –

 सूर्य की रोशनी में ध्यान करने से मेलाटोनिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन सक्रिय होते हैं, जिससे मूड और नींद में सुधार होता है और मानसिक स्थिरता आती है।

आत्म-नियंत्रण :-

 उपवास और भक्ति के दौरान आत्म-नियंत्रण और मानसिक शक्ति का विकास होता है।

नकारात्मकता से मुक्ति :

– पूजा प्रक्रिया के दौरान मन में सकारात्मक शांति आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, जिससे ईर्ष्या और क्रोध जैसी भावनाओं पर नियंत्रण होता है। 

 

डा• रूप कुमार बनर्जी

होम्योपैथिक चिकित्सक