मुंबई, चार अक्टूबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने कदाचार एवं न्यायपालिका के अधिकारियों के अनुरूप आचरण न करने के आरोप में निचली अदालत के दो न्यायाधीशों को बर्खास्त कर दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धनंजय निकम और दीवानी न्यायाधीश इरफान शेख को बर्खास्त करने का फैसला एक अनुशासन समिति की जांच के बाद लिया गया।
निकम पर रिश्वतखोरी का आरोप है और स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई करने वाले शेख पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने एवं जांच के दौरान जब्त किए गए नशीले पदार्थों का दुरुपयोग करने का आरोप है।
शेख के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका अब भी लंबित है।
उच्च न्यायालय ने दोनों को बर्खास्त करने का शुक्रवार को आदेश दिया।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत देने के लिए पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में सातारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश निकम के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
निकम ने जनवरी में अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि वह निर्दोष हैं एवं उन्हें मामले में फंसाया गया है।
उच्च न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से मार्च में इनकार कर दिया था।
एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में उसके पिता को न्यायिक हिरासत में रखा गया है।
महिला ने बताया कि उसके पिता को जमानत देने से निचली अदालत के इनकार के बाद उसने सातारा सत्र न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर की थी और निकम ने याचिका पर सुनवाई की थी।
एसीबी ने आरोप लगाया है कि निकम के कहने पर मुंबई निवासी किशोर संभाजी खरात और सातारा निवासी आनंद मोहन खरात ने जमानत मंजूर करने के लिए महिला से पांच लाख रुपये मांगे थे।
जांच एजेंसी ने दावा किया कि तीन से नौ दिसंबर 2024 के बीच की गई उसकी जांच के दौरान रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि हुई।
एसीबी ने निकम, संभाजी खरात एवं मोहन खरात और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।