भूपति का आत्मसमर्पण महाराष्ट्र में ‘नक्सल आंदोलन के अंत की शुरुआत’: फडणवीस
Focus News 15 October 2025 0
गढ़चिरौली (महाराष्ट्र), 15 अक्टूबर (भाषा) मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि शीर्ष नक्सली भूपति और 60 अन्य नक्सलियों का आत्मसमर्पण महाराष्ट्र में ‘‘नक्सली आंदोलन के अंत की शुरुआत’’ है।
फडणवीस ने कहा कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना का पूरा ‘‘लाल गलियारा’’ नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि महाराष्ट्र का गढ़चिरौली प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने गढ़चिरौली जिले में शीर्ष नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति और 60 अन्य नक्सलियों के उनके समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद एक जनसभा को संबोधित किया।
एक अधिकारी ने बताया कि भूपति पर छह करोड़ रुपये का इनाम था।
अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के समय अपने 54 हथियार भी सौंपे, जिनमें सात एके-47 और नौ इंसास राइफल शामिल हैं।
भूपति उर्फ सोनू को माओवादी संगठन के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता है और उसने लंबे समय तक महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों की निगरानी की थी।
फडणवीस ने कहा कि मुट्ठी भर नक्सली बचे हैं और उन्हें भी आत्मसमर्पण कर देना चाहिए या फिर उन्हें पुलिस कार्रवाई का सामना करना होगा।
उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि गढ़चिरौली देश में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है।
फडणवीस ने कहा कि छह करोड़ रुपये के इनामी और गढ़चिरौली के अहेरी एवं सिरोंचा में नक्सल आंदोलन को बढ़ावा देने वाले भूपति तथा 60 अन्य नक्सलियों का आत्मसमर्पण एक बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह देश के इतिहास में एक बड़ी बात है। भूपति का आत्मसमर्पण महाराष्ट्र में नक्सल आंदोलन के अंत की शुरुआत है।’’
उन्होंने कहा कि नक्सलियों को यह जान लेना चाहिए कि वे वैचारिक युद्ध हार चुके हैं और समानता एवं न्याय केवल मुख्यधारा में शामिल होकर तथा भारतीय संविधान का पालन करके ही प्राप्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भूपति और 60 अन्य नक्सलियों का आत्मसमर्पण माओवादियों के तथाकथित ‘‘लाल गलियारे’’ के अंत का मार्ग प्रशस्त करेगा और यह गर्व का क्षण है क्योंकि इसकी शुरुआत महाराष्ट्र से हुई है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में बचे हुए नक्सलियों को भी समझ आ गया है कि वे वैचारिक युद्ध हार चुके हैं और जिन सपनों का वे पीछा कर रहे थे, वे गलत थे। उन्हें समझ आ गया है कि केवल भारतीय संविधान ही उन्हें न्याय दिला सकता है।
फडणवीस ने कहा कि उनका मानना है कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी 100 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे और तथाकथित ‘‘लाल गलियारे’’ में नक्सलवाद का अंत हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह मेरे लिए गर्व की बात है कि इसकी शुरुआत गढ़चिरौली और महाराष्ट्र से हुई है।’’
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि आत्मसमर्पण करने वालों का सम्मानपूर्वक पुनर्वास किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि गढ़चिरौली एक इस्पात केंद्र बन रहा है और अगले पांच से सात वर्ष में गढ़चिरौली के एक लाख ‘‘भूमिपुत्रों’’ को जिले में ही रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्ष में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रशासन और विकास समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और नक्सलियों के सामने केवल दो विकल्प हैं: या तो वे आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा में शामिल हों या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
फडणवीस ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में गढ़चिरौली पुलिस की बहादुरी की सराहना की।
उन्होंने कहा कि जिले में नक्सलवाद लगभग समाप्त हो चुका है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस विभाग लापरवाह और निश्चिंत हो जाए।
फडणवीस ने कहा, ‘‘हमें अगले दो वर्ष तक बेहद सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि जब ऐसा आंदोलन लगभग समाप्त होने वाला होता है तो बचे हुए कुछ लोग आखिरी बार हमला करने की कोशिश करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि 40 से ज्यादा वर्षों से गढ़चिरौली जिला माओवादी हिंसा का गवाह रहा है और विकास से कोसों दूर रहा है।
उन्होंने कहा कि गढ़चिरौली के युवा माओवादी विचारधारा से गुमराह थे और उन्हें यह नहीं पता था कि समानता केवल संविधान के जरिए ही हासिल की जा सकती है।
उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के बेहतर और उचित पुनर्वास का भी आश्वासन दिया।
उन्होंने बताया कि आज गढ़चिरौली देश के इस्पात उद्योग का केंद्र बन रहा है, जहां लगभग तीन लाख करोड़ रुपये के निवेश से रोजगार के बड़े अवसर पैदा हो रहे हैं।
फडणवीस ने कहा कि उन्होंने निवेशकों से गढ़चिरौली आने और 95 प्रतिशत नौकरियों में स्थानीय लोगों को लेने पर विचार करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अगले पांच से छह वर्षों में गढ़चिरौली और आसपास के चंद्रपुर में स्थानीय लोगों के लिए एक लाख से अधिक अच्छे रोजगार के अवसर पैदा करने का संकल्प लिया है।
फडणवीस ने गढ़चिरौली के समग्र और सतत विकास का भी आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि गढ़चिरौली को महाराष्ट्र का अंतिम जिला कहा जाता था, अब यह राज्य का ‘‘पहला जिला’’ बनने की ओर अग्रसर है।