भागवत का उद्बोधन प्रेरक है : प्रधानमंत्री मोदी

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नयी दिल्ली, दो अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के वार्षिक विजयादशमी संबोधन की सराहना करते हुए इसे प्रेरणादायक बताया और कहा कि उन्होंने भारत की नयी ऊंचाइयों को छूने की अंतर्निहित क्षमता को उजागर किया।

मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में राष्ट्र निर्माण में संघ के अतुलनीय योगदान पर प्रकाश डाला है। उन्होंने भारतवर्ष के उस सामर्थ्य को भी रेखांकित किया है, जो देश को सशक्त बनाने के साथ-साथ संपूर्ण मानवता के लिए भी कल्याणकारी है।

मोदी 1980 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने से पहले आरएसएस के प्रचारक थे।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि हिंदू समाज की शक्ति और चरित्र एकता की गारंटी देते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हिंदू समाज में ‘‘हम और वे’’ की अवधारणा कभी अस्तित्व में नहीं रही।

उन्होंने ‘स्वदेशी’ (देशीय संसाधनों का उपयोग) और ‘स्वावलंबन’ (आत्मनिर्भरता) का समर्थन करते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद विभिन्न देशों द्वारा अपनाए गए रुख से भारत के साथ उनकी मित्रता के स्वरूप और प्रगाढ़ता का पता चला।

आरएसएस की स्थापना 1925 में दशहरा के दिन नागपुर में महाराष्ट्र के चिकित्सक केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। इस विजयादशमी उत्सव के साथ आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है।

कुछ लोगों से शुरू हुआ यह संगठन आज देश का सबसे व्यापक गैर-सरकारी संगठन बन गया है।

भाजपा वैचारिक रूप से इस हिंदुत्ववादी संगठन से प्रेरित है।

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