नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) कोल इंडिया की इकाई एसईसीएल की 12 कोयला खनन परियोजनाएं पर्यावरण मंजूरी और भूमि अधिग्रहण में देरी जैसे कारणों से निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं।
सरकार के आयात कम करने के लिए घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के बीच ये परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) एक मिनी रत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, उक्त परियोजनाओं में से तीन खदानों की लागत 500 करोड़ रुपये और उससे अधिक है। पांच की लागत 150 करोड़ रुपये और उससे अधिक लेकिन 500 करोड़ रुपये से कम है। दो की लागत 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक लेकिन 150 करोड़ रुपये से कम है। एक की लागत 50 करोड़ रुपये से अधिक लेकिन 100 करोड़ रुपये से कम है। वहीं एक की लागत 20 करोड़ रुपये से उससे अधिक लेकिन 50 करोड़ रुपये से कम है।
इनमें से कुछ परियोजनाएं अमादंड खुली खदान, आमगांव खुली खदान परियोजना और विजय पश्चिम भूमिगत खदान हैं। हालांकि, 18 परियोजनाएं निर्धारित समय पर चल रही हैं।
एसईसीएल में कुल 30 चालू परियोजनाएं (18 परियोजनाएं निर्धारित समय पर तथा 12 परियोजनाएं विलंबित हैं) कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने 2024-25 में 16.74 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया। इस सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के कोयला भंडार छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में फैले हुए हैं।