सबरीमला पर रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है, विरोध प्रदर्शनों से चिंतित नहीं : एनएसएस महासचिव

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तिरुवनंतपुरम/कोट्टायम, 27 सितंबर (भाषा) एनएसएस महासचिव जी. सुकुमारन नायर ने शनिवार को कहा कि उन्होंने सबरीमला मुद्दे पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है और वह अपने खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शनों को लेकर चिंतित नहीं हैं।

कोट्टायम जिले के पेरुन्ना स्थित ‘नायर सर्विस सोसाइटी’ (एनएसएस) के मुख्यालय में संगठन की एक बैठक के बाद वह पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।

सबरीमला मुद्दे पर केरल की एलडीएफ सरकार का समर्थन करने वाली उनकी हालिया टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर नायर ने कहा, ‘‘दूसरों के विपरीत, मैंने इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट रूप से व्यक्त कर दिया है। इसलिए, कृपया इसके बारे में बार-बार न पूछें।’’

जब उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ कई जगहों पर पोस्टर और बैनर लगे हैं, तो नायर ने कहा कि उन्हें ‘‘इसकी कोई चिंता नहीं है।’’

एनएसएस महासचिव ने हाल में कई साक्षात्कारों में कहा था कि उन्हें सबरीमला मुद्दे पर राज्य की एलडीएफ सरकार पर भरोसा है, जिसने समुदाय को आश्वासन दिया था कि पहाड़ी मंदिर में सदियों पुराने रीति-रिवाजों को संरक्षित रखा जाएगा।

‘‘सबरीमाला में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद केंद्र की निष्क्रियता’’ के लिए नायर ने भाजपा नीत राजग सरकार की आलोचना की। उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी ‘‘हिंदू वोटों में रुचि नहीं रखती है।’’

बाद में, जब पत्रकारों ने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन को नायर के रुख के बारे में बताया और पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी के ‘‘एनएसएस को समझाने-बुझाने के प्रयास विफल हो गए हैं,’’ तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया।

कांग्रेस नेता ने तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया। हमने स्पष्ट रूप से कहा कि वैश्विक अयप्पा संगमम में शामिल न होना हमारा राजनीतिक निर्णय था। इस रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। केरल में यूडीएफ ने दृढ़ धर्मनिरपेक्ष रुख अपनाया है। हम बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक, दोनों तरह की सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं। हमारी तुष्टीकरण की नीति नहीं है। माकपा की तुष्टीकरण की नीति है।’’

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