तिरुपति (आंध्र प्रदेश), 15 सितंबर (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को बजटीय आवंटन में लैंगिक जवाबदेही जैसे मुद्दों के समाधान के लिए सभी राज्यों में महिला सशक्तीकरण पर विधायी समितियां गठित करने की जोरदार वकालत की।
बिरला ने महिला सशक्तीकरण पर संसदीय और विधानमंडलीय समितियों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में अपने उद्बोधन में कई राज्यों की विधानसभाओं में इस तरह की समितियां नहीं होने पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जल्द ही राज्य विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों को पत्र लिखूंगा कि महिला सशक्तीकरण और बाल विकास पर विधायी समितियों का गठन किया जाए।’’
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि कुल 29 राज्यों में से 16 में महिला सशक्तीकरण पर विधायी समितियां हैं और शेष राज्यों के लिए भी महिलाओं के मुद्दों पर संबंधित विधानसभाओं और राज्य सरकारों को सुझाव देने के लिए ऐसी समितियों का गठन करना आवश्यक है।
बिरला ने कहा, ‘‘हम लखनऊ में पूरे भारत के पीठासीन अधिकारियों के आगामी सम्मेलन में इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि जिस तरह लोक लेखा समिति वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करती है, उसी तरह महिला सशक्तीकरण समितियां भी बजटीय आवंटन में लैंगिक जवाबदेही सुनिश्चित कर सकती हैं।
उन्होंने एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत पर ज़ोर दिया जहां एक युवती बिना किसी डर के शिक्षा प्राप्त करने, नौकरशाही की बाधाओं के बिना व्यवसाय शुरू करने और बिना किसी पूर्वाग्रह के नेतृत्व करने का सपना देख सके।
बिरला ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में, स्वदेशी उत्पादों के निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि महिलाएं पहले से ही स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि किसी देश को सही मायने में तभी विकसित कहा जा सकता है जब उसकी आधी आबादी विकास की मुख्यधारा में पूरी तरह और सक्रिय रूप से भाग ले सके।
बिरला ने कहा, ‘‘महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास कोई विकल्प नहीं है; यह एक आवश्यकता है। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो महिलाओं को न केवल लाभार्थी के रूप में, बल्कि विकास की प्रक्रिया के चालक, निर्माता और नेता के रूप में स्थापित करता है।’’
इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर ने भी अपने विचार रखे।