अथक परिश्रम और अटूट राष्ट्रभक्ति है भारतीय जेन -जी की पहचान

0
cdfar3ewqsa
  भारत विश्व के सबसे युवा देशों में से एक है। वर्तमान में देश की आधी से अधिक जनसंख्‍या 35 वर्ष से कम आयु की है। यह केवल आँकड़ा भर नहीं है, बल्कि इस बात का प्रतीक है कि भारत का भविष्य आज की युवा शक्ति के मजबूत कंधों और दृढ़ इच्‍छाशक्ति पर टिका है। जिस राष्ट्र की जनसंख्या में इतनी बड़ी भूमिका युवा वर्ग निभा रहा हो, उसकी धड़कन भी स्वाभाविक रूप से युवा ही होंगे। यही कारण है कि भारत को यंग इंडिया और डेमोग्राफिक डिविडेंड के नाम से पहचाना जाता है। पूरी दुनिया भारत की युवाशक्ति, मेधा और कौशल को सराह रही है।
          पिछले कुछ समय में पड़ोसी देशों बांग्लादेश, नेपाल और कई अन्य देशों में युवाओं, विशेषकर जेन-जी वर्ग, के बीच असंतोष और विद्रोह की लहरें उठीं। वहाँ बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अवसरों की कमी और प्रशासनिक अक्षमताओं ने युवाओं को सड़क पर उतरने पर मजबूर किया। व्‍यवस्‍था परिवर्तन की मांग और हिंसक प्रदर्शन इन देशों में गहरी बेचैनी और अव्यवस्था के रूप में सामने आए। इस परिप्रेक्ष्य को भारत में भी कुछ षड्यंत्रकारी शक्तियाँ राजनैत‍िक रूप भुनाने का प्रयास कर रही हैं। वे युवाओं को उकसाने, भड़काने और भ्रमित करने की कोशिशों में लगी हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से टूलकिट तैयार कर गलत जानकारियाँ फैलाना और नेताओं द्वारा गैर-जिम्मेदाराना बयान देना इसका उदाहरण है। यह प्रवृत्ति न केवल निंदनीय है, बल्कि अत्यंत चिंतनीय भी है, क्योंकि यह युवा शक्ति को उसकी रचनात्मक और राष्‍ट्र निर्माण की दिशा से भटकाने का कुत्सित प्रयास है।
        जब भारत के युवाओं, विशेष रूप से जेन-जी को लेकर विचार किया जाता है, तब यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि भारत की स्थिति इन देशों से भिन्न है। भारतीय युवा विशेषकर जेन-जी  मूलतः राष्ट्रीय विचारधारा से ओत-प्रोत है। देश उसके लिए सर्वोपरि है। भारत के युवा की समझ पूरी तरह से विकस‍ित है कि देश के निर्माण का मार्ग विद्रोह से नहीं, बल्कि नवाचार, परिश्रम और लोकतांत्रिक माध्यमों से निकलता है। यही कारण है कि भारतीय युवा अपने उद्यम,  अथक परिश्रम और राष्ट्रभक्ति से हर क्षेत्र में भारत के ध्‍वज वाहक बने हुए हैं।
                 भारत का युवा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। अंतरिक्ष अनुसंधान में इसरो की उपलब्धियों के पीछे युवा वैज्ञानिकों का योगदान है। कंप्यूटर और आईटी क्षेत्र में भारतीय युवा विश्‍व की दिग्गज कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। स्टार्ट-अप कल्चर का उत्थान भी इसी ऊर्जा का परिणाम है, जिसने भारत को नवाचार का वैश्विक केंद्र बना दिया है।
        व्यापार, उद्योग और वाणिज्य में युवा उद्यमी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। वे केवल नौकरी करने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि रोजगार सृजन करने वाले नये अवसर पैदा कर रहे हैं। कला, साहित्य और लेखन के क्षेत्र में भी युवा अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर उन्होंने भारत का मान बढ़ाया है। सेना और सुरक्षा बलों में युवाओं का समर्पण और त्याग देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने का सशक्त आधार है। राजनीति में भी नई पीढ़ी अपने ताजगीपूर्ण दृष्टिकोण और नये विचारों से लोकतंत्र को मजबूत कर रही है।
           ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारतीय युवा आज राष्‍ट्र निर्माण के लिए जरूरी परिवर्तन का वाहक है किंतु यह परिवर्तन विद्रोह या अव्यवस्था से नहीं बल्कि व्यवस्था के भीतर रहते हुए रचनात्मक सुधारों से आता है। यही भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है।
देश का युवा संविधान में पूर्ण आस्था रखता है। वह जानता है कि उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। हर मंच पर, चाहे वह शैक्षणिक संस्थान हों, मीडिया मंच हों या लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया, अपनी बात रखने का अवसर उपलब्ध है। ऐसे में किसी प्रकार के हिंसक विद्रोह की गुंजाइश नहीं बनती। यदि किसी प्रकार का असंतोष या मांगें हैं तब उन्‍हें भी लोकतांत्रिक तरीकों से ही व्यक्त करने की अपने देश की संवैधानिक परंपरा है। यही कारण है कि भारत का युवा किसी भी कुत्सित प्रयासों से प्रभावित नहीं होता।
         आज के भारतीय जेन-जी की सोच वैश्विक है, लेकिन उसकी जड़ें भारतीय संस्कृति और मूल्यों में गहराई से जुड़ी हुई हैं। यह पीढ़ी इंटरनेट, सोशल मीडिया और नई तकनीकों से भले ही पूरी तरह जुड़ी हुई हो, लेकिन वह जानती है कि उसका पहला दायित्व अपने देश के प्रति है। यही कारण है कि जब कोई भी शक्ति उन्हें राष्ट्र-विरोधी विचारों की ओर मोड़ने का प्रयास करती है, तो भारतीय युवा उसका प्रतिरोध करता है।
          भारत में युवाओं के बीच राष्ट्रीयता केवल भावनाओं का विषय नहीं है, बल्कि यह उनके व्यवहार और जीवन दृष्टिकोण में भी दिखाई देता है। कोरोना महामारी के समय जब पूरा देश संकट से गुजर रहा था, तब युवाओं ने राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्‍तर तक युवाओं ने सेवा और सहयोग का उदाहरण रखा जो पूरी दुनिया अपने तरह का उत्‍कृष्‍ट और लगभग दुर्लभ उदाहरण है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय युवा केवल अपने हित की नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए सोचता है।
          आज जबकि कुछ राजनेता और संगठन युवाओं को भड़काने के लिए उकसावे भरे बयान देते हैं, उन्हें यह समझना होगा कि भारत का युवा अब मेधावी और गहरी राष्‍ट्रीय समझ रखने वाला युवा है। वह तर्क करता है, प्रमाण मांगता है और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखता है। उसे भ्रमित करना इतना आसान नहीं है। नेताओं और संगठनों को चाहिए कि वे युवाओं की राष्ट्रभक्ति को समझें और उसकी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करें।
          भारत का युवा वास्तव में देश की धड़कन है। उसकी धड़कन में राष्ट्र की आकांक्षाएँ, सपने और भविष्य की उम्मीदें धड़कती हैं। उसका सपना केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि वह भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में कार्यरत है। उसकी ऊर्जा और संकल्प ही भारत की सबसे बड़ी पूंजी है। इसलिए आवश्यक है कि समाज और नेतृत्व दोनों इस शक्ति का सम्मान करें, उसकी क्षमता पर विश्वास रखें और उसे सकारात्मक अवसर प्रदान करें। जब भारत का युवा अपने उत्साह और ऊर्जा से आगे बढ़ेगा, तो निश्चित ही भारत विश्व पटल पर एक नई पहचान निर्मित करेगा।
          देश के युवाओं की यही सोच, यही आस्था और यही समर्पण है जो यह प्रमाणित करता है कि वे किसी भी विद्रोह या कुत्सित प्रयास से प्रभावित होने वाले नहीं हैं। वे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने वाले हैं, उसे हिलाने वाले नहीं। यही विश्वास भारत को सशक्त बनाता है और यही कारण है कि देश गर्व से कहता है-भारत का युवा ही भारत की धड़कन है।
 
डॉ. सुदीप शुक्‍ल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *