नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पोते ने कहा, विरोध प्रदर्शनों को ठीक से नियंत्रित नहीं किया जा सका

0
fr43ewds56t

लखनऊ, 10 सितंबर (भाषा) नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के. आई. सिंह के पोते यशवंत शाह ने बुधवार को वहां की सरकार पर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों को ठीक से नियंत्रित न कर पाने का आरोप लगाया और कहा कि प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन शांतिपूर्ण था तथा उन्हें व्यापक जन समर्थन प्राप्त था।

शाह ने ‘पीटीआई वीडियोज’ से यहां बातचीत में कहा कि आठ सितंबर को काठमांडू में हुए विरोध प्रदर्शन का आह्वान एक छात्र संगठन ने किया था और इसमें बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह विरोध प्रदर्शन भ्रष्टाचार के खिलाफ था। लंबे समय से कई घोटाले चल रहे हैं और लोगों को लगा कि इन्हें रोकने के लिए कुछ किया जाना चाहिए।’’

शाह के अनुसार, इस प्रदर्शन को शुरुआत में युवा जेनरेशन-जेड (जेन-जेड) आबादी का जबरदस्त समर्थन मिला, जिसे बाद में ‘जेन-एक्स’ के साथ-साथ आम जनता ने भी समर्थन दिया।

‘जेन-जेड’ का अभिप्राय उन लोगों से है, जो लगभग 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं। इन्हें ‘जूमर्स’, ‘डिजिटल नेटिव्स’ या ‘पोस्ट-मिलेनियल्स’ भी कहते हैं, क्योंकि ये ऐसे युग में पले-बढ़े हैं जहां इंटरनेट और टेक्नोलॉजी पूरी तरह मौजूद है।

‘जेन-एक्स’ 1960 के दशक के मध्य से 1980 के दशक की शुरुआत के बीच पैदा हुए लोगों के समूह को कहते हैं।

शाह ने कहा, ‘‘इतने बड़े पैमाने पर समर्थन को देखकर, सरकार घबरा गई और उसे डर था कि इससे उन पर बुरा असर पड़ेगा, खासकर जब इसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा था।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों के बल प्रयोग के कारण झड़पें हुईं।

शाह ने कहा, ‘‘पुलिस द्वारा गोलीबारी गलत थी। किसी भी लोकतंत्र में गोलीबारी नहीं होनी चाहिए। ज्यादा से ज्यादा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें या रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर गोलीबारी अपरिहार्य भी हो, तो कमर के नीचे होनी चाहिए, लेकिन जो हुआ वह स्पष्ट उल्लंघन था।’’

उन्होंने दावा किया कि नेपाल की संसद के बाहर एक स्कूली छात्र को गोली लगी, जिससे व्यापक जनाक्रोश भड़क उठा।

शाह ने कहा, ‘‘अगर आप वीडियो देखें, तो आप आम नागरिकों को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज उठाते हुए देखेंगे। लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध कोई अपराध नहीं है।’’

सैकड़ों आंदोलनकारी मंगलवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के कार्यालय में घुस आए और भ्रष्टाचार हटाने एवं सोशल मीडिया पर रोक लगाने की मांग को लेकर सोमवार को हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत पर उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। इसके बाद ओली ने पद छोड़ दिया।

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सोमवार रात को हटा तो लिया गया, लेकिन ओली के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शन जारी रहे।

प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी इमारतों, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *