केंद्र को लद्दाख के लोगों से बातचीत करनी चाहिए: फारूक अब्दुल्ला

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श्रीनगर, 25 सितंबर (भाषा) नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र को लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उनके साथ बातचीत करनी चाहिए।

लेह में राज्य की मांग को लेकर हुई हिंसा के एक दिन बाद अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख एक संवेदनशील क्षेत्र है।

अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि यह (लद्दाख) एक सीमावर्ती राज्य है। चीन घात लगाये बैठा है, उसने जमीन पर कब्जा कर लिया है। इसे जल्द सुलझाने का समय आ गया है। सरकार को बातचीत कर इसे सुलझाना चाहिए।’’

सरकार द्वारा हिंसा के लिए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को दोषी ठहराए जाने के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह (वांगचुक) इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘उन्होंने (वांगचुक) कभी गांधीवादी रास्ता नहीं छोड़ा। युवाओं ने आज उन्हें दरकिनार कर दिया है। इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं। जब वे (भाजपा) चुनाव हार गए, तो उन्होंने सुरक्षा कानून लागू कर दिया और लोगों को जेलों में डाल दिया। अब वे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे जितना ज्यादा दमन के लिए बल का इस्तेमाल करेंगे, खतरा उतना ही बढ़ेगा। मैं भारत सरकार से कहना चाहता हूं कि बल का इस्तेमाल न करें और बातचीत करें।’’

‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) द्वारा आहूत बंद के दौरान बुधवार को दिनभर हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और कम से कम 80 लोग घायल हो गए। एलएबी लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन का समर्थन कर रहा है।

यह पूछे जाने पर कि क्या लद्दाख में कोई बाहरी ताकतें गड़बड़ी पैदा कर रही हैं, पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बात को खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई बाहरी हाथ नहीं है। यह जनता की आवाज है।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले पांच वर्षों से लद्दाख के लोग छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘उनके नेता अपनी मांगों को मनवाने के लिए लेह से दिल्ली तक पैदल चले। उन्होंने आंदोलन नहीं, बल्कि गांधीवादी रास्ता अपनाया। लेकिन युवाओं को लगा कि उनके वादे खोखले थे। नतीजा यह हुआ कि वे इसे और बर्दाश्त नहीं कर सके।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र को लद्दाख की स्थिति से सबक सीखना चाहिए और जम्मू-कश्मीर के संबंध में अपने वादों को पूरा करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था, लेकिन वह कहां है? आपने हमसे जो वादे किये थे, वे कहां हैं? नौकरियां कहां हैं? बाहर से लोगों को थोपा जा रहा है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी लद्दाख में हिंसक आंदोलन का समर्थन करती है, उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कभी गांधीवादी रास्ता नहीं छोड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने बलिदान दिये, लेकिन कभी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया। हालांकि, युवा भविष्य में क्या करेंगे, मैं निश्चित रूप से नहीं कह सकता।’’

लद्दाख हिंसा के लिए भाजपा द्वारा कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराए जाने के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यह अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास है।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा 2019 से शासन कर रही है। कांग्रेस कहां से आ गई? वे (भाजपा) हमेशा ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। कांग्रेस 10 लोगों को इकट्ठा नहीं कर सकती।’’

अब्दुल्ला ने लद्दाख की स्थिति के लिए केंद्र सरकार के नेताओं को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा कि यदि लद्दाख क्षेत्र में कोई रिक्तता रह जाती है तो कोई और उसे भरने का प्रयास करेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई न कोई इस कमी को पूरा करेगा। यह बहुत संवेदनशील क्षेत्र है। वे (चीन) लद्दाख के लिये तरस रहे हैं। प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) चीन गए थे। वह वहां क्यों गये थे? संबंध सुधारने के लिए।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि अमेरिका अब यूक्रेन पर रूसी युद्ध के लिए भारत को दोषी ठहरा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका हम पर निशाना साध रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हम पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का समर्थन करने का आरोप लगाया है, लेकिन सच्चाई यह है कि हमने इसका समर्थन नहीं किया है।’’

सरकार के इस दावे पर कि चीन ने लद्दाख में कोई जमीन नहीं ली है, अब्दुल्ला ने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि उन्होंने कितनी जमीन ली है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हम अपनी जमीन पर गश्त भी नहीं कर सकते। हम कब तक झूठ की दुनिया में रहेंगे?’’

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