नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने सोमवार को वेदांता के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
इस याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया था कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर ‘वायसराय रिसर्च’ के आरोपों की जांच करने के लिए अधिकारियों को आदेश दिया जाए।
वायसराय रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल का खनन समूह ”वित्तीय रूप से अस्थिर” है और लेनदारों के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर रहा है।
न्यायमूर्ति चंद्रन के सुनवाई से अलग होने पर संज्ञान लेते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और अतुल चंदुरकर की पीठ ने अधिवक्ता शक्ति भाटिया की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
भाटिया ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्होंने एमसीए21 फाइलिंग, सेबी के खुलासे और कंपनी रजिस्ट्रार के रिकॉर्ड की समीक्षा करके वायसराय रिपोर्ट के कुछ हिस्सों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की है।
याचिका में कहा गया कि कुछ उच्च-मूल्य वाले लेनदेन में प्रतिपक्ष शामिल थे, जिन्हें न तो संबंधित पक्ष घोषित किया गया था और न ही अनिवार्य रूप से शेयरधारकों की मंजूरी ली गई।