संरक्षण प्रयासों के कारण डल झील अधिक स्वच्छ हुई : सिन्हा

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श्रीनगर, 21 सितंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि पिछले पांच वर्षों में किए गए संरक्षण प्रयासों के कारण यहां की प्रसिद्ध डल झील साफ हुई है। इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरणीय संसाधनों के साथ आर्थिक विकास को समन्वित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उपराज्यपाल ने कहा कि जलाशय के एक-तिहाई से ज़्यादा हिस्से का पुनरुद्धार हो चुका है और इसका खुला क्षेत्र पहली बार 20 वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा हो गया है।

‘सेवा पर्व’ के तहत सिन्हा डल झील सफ़ाई अभियान में शामिल हुए।

उपराज्यपाल ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘सेवा पर्व के तहत, डल झील सफ़ाई अभियान में शामिल हुआ। पिछले पांच वर्षों के दौरान, डल-निगीन झील और इसके जलग्रहण क्षेत्र के संरक्षण का काम मिशन मोड में किया गया है। डल झील साफ हुई है और बड़ी संख्या में घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि झील के एक-तिहाई से ज़्यादा हिस्से का पुनरुद्धार किया जा चुका है।

उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘बड़े क्षेत्रों से लिली के पौधों को हटा दिया गया है और डल झील का खुला क्षेत्र पहली बार 20.3 वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा हो गया है।’’

सिन्हा ने नागरिकों से सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों के संरक्षण का आह्वान किया।

सिन्हा ने नागरिकों से सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से झीलों, नदियों और अन्य जलाशयों के संरक्षण का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्राकृतिक संसाधन हमें अतीत में की गई गलतियों से सबक सीखने की याद दिला रहे हैं। हमें प्रकृति के नाज़ुक संतुलन का सम्मान करना चाहिए और अपनी झीलों और नदियों को साफ़ करने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए।’’

उपराज्यपाल ने आर्थिक विकास को पर्यावरणीय संसाधनों के साथ समन्वित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘विकास एकतरफ़ा नहीं हो सकता। अतिक्रमण, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक दोहन हमारी नदियों और झीलों के लिए एक बड़ा खतरा बन रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों के तेज़ी से घटते स्तर और हमारी पारिस्थितिकी के क्षरण जैसी प्रमुख चुनौतियों का समाधान सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।’’

सिन्हा ने कहा कि आर्थिक विकास और पारिस्थितिक अखंडता को सरकारी नीति में शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि झीलें और नदियां मानवता के लिए आवश्यक जीवनरेखा हैं और नागरिकों को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से इनका संरक्षण करना चाहिए।

सिन्हा ने कहा कि झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एलसीएमए) द्वारा शुरू की गई अनेक परियोजनाएं भी डल निवासियों के जीवन में बदलाव ला रही हैं।

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