निस्वार्थ सेवा की भावना और अनुशासन आरएसएस की असली ताकत: प्रधानमंत्री मोदी

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नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि निस्वार्थ सेवा की भावना और अनुशासन का पाठ ही संघ की असली ताकत है और इसके असंख्य स्वयंसेवकों के हर कार्य में ‘राष्ट्र प्रथम’ को प्राथमिकता दी जाती है।

प्रधानमंत्री ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 125वें संस्करण में स्वदेशी अपनाने पर एक बार फिर जोर दिया और लोगों से दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर खादी की कोई वस्तु खरीदने का आग्रह किया।

मोदी ने यह भी कहा कि सरकार ‘छठ महापर्व’ को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कराने के लिए प्रयास कर रही है।

उन्होंने आरएसएस की सराहना करते हुए कहा, “अब से कुछ ही दिन बाद हम विजयादशमी मनाएंगे। इस बार विजयादशमी एक और कारण से और भी खास है। इस दिन, आरएसएस अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करेगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सौ साल पुरानी यात्रा न केवल उल्लेखनीय बल्कि प्रेरणादायक भी है।

उन्होंने कहा, “सौ साल पहले, जब आरएसएस की स्थापना हुई थी, तब हमारा देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। इस सदियों पुरानी गुलामी ने हमारे आत्मविश्वास और स्वाभिमान पर गहरा घाव किया था।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोगों में हीन भावना पनपने लगी थी।

मोदी ने कहा, “इसलिए, देश की आज़ादी के साथ-साथ, यह भी जरूरी था कि देश वैचारिक गुलामी से मुक्त हो।”

उन्होंने कहा कि के बी हेडगेवार ने इसी उद्देश्य से 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का गठन किया था।

मोदी ने कहा, “उनके बाद, गुरु गोलवलकर जी ने राष्ट्र सेवा के इस महायज्ञ को आगे बढ़ाया।”

उन्होंने कहा, “निःस्वार्थ सेवा की भावना और अनुशासन का पाठ, यही संघ की असली ताकत है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस पिछले 100 वर्षों से बिना रुके, बिना थके, राष्ट्र की सेवा में अथक परिश्रम कर रहा है।

मोदी ने कहा, “यही कारण है कि जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो आरएसएस के स्वयंसेवक सबसे पहले वहां पहुंचते हैं। आरएसएस के असंख्य स्वयंसेवकों के हर कार्य में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना हमेशा सर्वोपरि होती है।”

प्रधानमंत्री ने नाविका सागर परिक्रमा के दौरान सच्चे साहस और अडिग संकल्प का उदाहरण पेश करने वाली महिला नौसेना अधिकारियों – लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा – से भी बात की।

मोदी ने कहा कि हमारे त्योहार हमारी संस्कृति को जीवित रखते हैं। उन्होंने कहा कि छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव का सम्मान किया जाता है।

उन्होंने कहा कि कभी स्थानीय रहा यह पर्व अब एक वैश्विक पर्व बनता जा रहा है।

मोदी ने कहा, “सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने के प्रयास कर रही है। जब ऐसा होगा, तो दुनिया के विभिन्न कोनों में लोग इस त्योहार की भव्यता और दिव्यता का अनुभव कर सकेंगे।”

उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले सरकार के प्रयासों से कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया था।

गांधी जयंती का उल्लेख करते हुए, मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से आजादी के बाद भारत में खादी के प्रति आकर्षण कम हो गया है।

उन्होंने कहा कि हालांकि, “पिछले 11 वर्षों में, खादी के प्रति आकर्षण उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है और इसकी बिक्री लगातार बढ़ रही है।”

मोदी ने कहा, “मैं आपसे दो अक्टूबर को खादी उत्पाद खरीदने का आग्रह करता हूं। ”

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा, “अमर शहीद भगत सिंह हर भारतीय, खासकर देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।”

लता मंगेशकर के योगदान की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने देशभक्ति के गीत गाए हैं जिनसे लोगों को बहुत प्रेरणा मिली है।

रेडियो प्रसारण के दौरान मंगेशकर का गाया गीत ‘ज्योति कलश छलके’ भी बजाया गया।

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