वर्षा ऋतु का आगमन हो चुका है। बारिश की रिमझिम फुहारों के साथ प्रकृति के मनोहारी दृश्य का आनंद स्वस्थ और प्रसन्न मन के साथ आप भी उठा सकते हैं। बस जरूरत है थोड़ी सी समझदारी एवं सावधानी की। तो आइये जानें इसके बारे में। सर्वप्रथम आस पास की सफाई की ओर विश्ेाष ध्यान दें क्योंकि सूर्य की पर्याप्त रोशनी के अभाव में कीड़े-मकोड़े अधिक पनपते हैं। गड्डे एवं नालियों में दवाई का छिड़काव करें। घर मंे सीलन न हो। हमेशा फिनाइल डालकर पांेछा लगाये। बाथरूम में भी सफाई नियमित करे। पहनने के कपड़े सूखे होने चाहिएं। बिछौना गीला न हो। बारिश में हमारे शरीर को अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। निम्न तरीकों से इन रोगांे से बचा जा सकता हैं चिकनाई युक्त तली-भुनी खाद्य वस्तुओं एवं बाजार में बिकने वाली इस प्रकार की अन्य चीजों से परहेज करें। चूंकि मौसम में आर्द्रता आ जाने से शरीर में पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है अतः भोजन में विशेष ध्यान दें। करेला, कददू, लौकी, भिण्डी, अदरक लहसुन प्याज, पुदीने का प्रयोग अधिकाधिक करें। मौसमी फल आम का प्रयोग भी भोजन उपरांत किया जा सकता है। भोजन समयानुसार ही लें। दिन में तीन-चार बार भोजन न करें। सूर्योदय के पूर्व उठना शरीर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। देर तक नहीं सोना चािहए। इस मौसम में दोपहर को कदापि नींद नहीं लेनी चाहिए। बारिश में यदि आप भीग गये हों तो तुरंत ही सूखे कपड़े पहन लें क्योंकि नमी होने की वजह से शरीर में खुजली, घमौरियां व चर्म रोग हो सकता हैं। अलग-अलग स्थानों का पानी न पिएं। हमेशा स्वच्छ पानी पिएं। पानी साफ को बर्तन में छाल लें या फिटकरी डालकर ढक कर रखें। बार-बार पेय पदार्थ न पियें। किसी भी पदार्थ का अधिक मात्रा में सेवन न करें, न ही कई दिनों के रखे बासी पदार्थ को खायें। इस मौसम में ज्यादा आहार विहार नहीं करना चाहिए। हल्का व्यायाम कर सकते हैं। पानी खूब मात्रा में पीजिए क्योंकि इससे भोजन पचने में आसानी होगी। इन्हीं छोटी-छोटी किंतु महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रख हम बरसात में होने वाले हैजा, मलेरिया जैसे भयंकर संक्रामक रोगों से बच सकते हैं। साथ ही साथ अपने शरीर को स्वस्थ रख प्रसन्नचित्त होकर प्रकृति की अद्भुत नैसर्गिक छटा का लुत्फ उठा सकते हैं।