पतंजलि ने डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ विज्ञापन प्रसारित करने पर रोक के आदेश को चुनौती दी

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नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) पतंजलि आयुर्वेद ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर उस आदेश को चुनौती दी जिसमें उसे डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ ‘‘अपमानजनक’’ विज्ञापन प्रसारित करने से रोक दिया गया था।

शुरुआत में, न्यायमूर्ति सी हरिशंकर और ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यह सामान्य अपमान का मामला है और पतंजलि द्वारा दिए गए बयान प्रतिवादी डाबर के लिए एक स्पष्ट संदर्भ हैं।

उच्च न्यायालय ने पतंजलि को चेतावनी दी कि यदि उसे यह बेकार अपील लगी तो वह उस पर जुर्माना लगाएगा।

पीठ ने पतंजलि के वकील से कहा, ‘‘आपने कहा है- ‘40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से क्यों संतुष्ट हों?’ इसलिए जब आपने 40 जड़ी-बूटियों शब्द का प्रयोग किया है, तो यह स्पष्ट रूप से प्रतिवादी (डाबर) की ओर इशारा करता है।’’

इसने कहा, ‘‘जिस क्षण आप 40 जड़ी-बूटियों वाले साधारण च्यवनप्राश की बात करते हैं, आप जनता के सामने यह प्रस्तुतीकरण कर रहे हैं कि प्रतिवादी का च्यवनप्राश साधारण है और मेरा (पतंजलि) उत्कृष्ट है, तो फिर उसके च्यवनप्राश से क्यों संतुष्ट हुआ जाए।’’

अदालत ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने विज्ञापन को अपमानजनक माना है और यह एक अंतरिम आदेश है और कोई कारण नहीं है कि खंडपीठ को इस संबंध में विवेकाधीन आदेश पर विचार करना चाहिए।

पतंजलि के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें अपने मुवक्किलों के साथ बैठकर मामले पर चर्चा करने के लिए कुछ समय दिया जाए, जिसके बाद अदालत ने अपील पर सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तारीख तय कर दी।

एकल न्यायाधीश ने तीन जुलाई को पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ ‘‘अपमानजनक’’ विज्ञापन चलाने से रोक दिया था और कहा था कि टीवी तथा प्रिंट विज्ञापनों में प्रथम दृष्टया अपमान का एक मजबूत मामला स्पष्ट दिखता है।

डाबर द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश’ ‘विशेष रूप से डाबर च्यवनप्राश’ और सामान्य रूप से च्यवनप्राश का अपमान कर रहा है, क्योंकि इसमें दावा किया गया है कि ‘‘किसी अन्य निर्माता के पास च्यवनप्राश तैयार करने का ज्ञान नहीं है।’’

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