
किसी भी देश की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को आकार देने में उस देश की भाषा की प्रमुख भूमिका होती है। भारत के संदर्भ में उसकी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान के लिए हिंदी के अनिवार्यता और इसके महत्व से भी इनकार नहीं किया जा सकता। प्रख्यात राष्ट्रवादी कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था कि,” हिंदी भाषा वह नदी है जो साहित्य, संस्कृति और समाज को एक साथ बहा ले जाती है।” दिनकर का यह कथन भारत जैसे देश में हिंदी के महत्व को दर्शाने के लिए काफी है। इसके साथ ही हिंदी भारत मां के भाल पर सजी स्वर्णिम बिन्दी भी है। हिंदी भारत की बेटी भी है और भाषाई आधार पर देश का प्राण भी है। यह भी सत्य है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत और एकता की अभिव्यक्ति और वाहक बन जाती है।यद्यपि भारत में हजारों भाषाएँ हैं, फिर भी इस भाषाई विविधता वाले देश में हिंदी का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
हिंदी भाषा के महत्व, उसकी सांस्कृतिक एवं भाषा की पहचान तथा राष्ट्रीय एकता में उसके योगदान को रेखांकित करने के लिए ही आज के दिन हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जो हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाती है । वहीं, दुनियाभर में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। यह विभिन्न पृष्ठभूमियों और संस्कृतियों वाले विविध जनसमूह के बीच की खाई को पाटती है। हिंदी एक सांस्कृतिक प्रतीक से कम नहीं है जो विविध जनसमूह को एकजुट करती है। हिंदी भाषा का एक समृद्ध इतिहास है, जो प्रारंभिक मध्यकाल से जुड़ा है। प्राचीन संस्कृत भाषा में अनेक बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं में निहित हिंदी भाषा ने इसे आकार दिया है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी राष्ट्रवादी नेताओं के लिए जनसाधारण तक अपने संदेश पहुँचाने के लिए हिंदी एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में उभरी। यह हिंदी भाषा में संचार के महत्व को रेखांकित करता है।
स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1950 में हिंदी को अंग्रेजी के साथ भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया। हिंदी ने भाषाई रूप से विविध परिदृश्य में राष्ट्रीय एकता और एकीकरण की भावना को बढ़ावा दिया। एक क्षेत्रीय बोली से राष्ट्रीय भाषा बनने तक हिंदी भाषा की यात्रा भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने में हिंदी की भूमिका को उजागर करती है। भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा देते हुए हिंदी के संरक्षण के लिए कई संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं। राजभाषा वह है जिसे सरकारी कामकाज में इस्तेमाल करने के लिए निश्चित किया जाता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, देवनागरी लिपि में लिखी गई हिन्दी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है, और संविधान का भाग 17 अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा हिन्दी से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करता है। इसके तहत हिन्दी को संघ की राजभाषा होने के साथ-साथ अंग्रेजी को भी जारी रखने का प्रावधान है।
राजभाषा के रूप में हिंदी के महत्वपूर्ण निर्धारित करते हुए संसद व राज्यों के विधानमंडलों में भाषा प्रयोग के नियम भी निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, दशकों से, इस भाषा ने विभिन्न क्षेत्रीय बोलियों और आधुनिक शब्दावलियों को विकसित और एकीकृत किया है। यह एक भाषा के रूप में हिंदी की अनुकूलनशीलता और लचीलेपन को दर्शाता है। हिन्दी हमारे स्वाभिमान और गर्व की भाषा है, हिन्दी ने हमें विश्व में एक नई पहचान दिलाई है। हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी ‘राष्ट्रभाषा’ भी है। वह दुनियाभर में हमें सम्मान भी दिलाती है। यह भाषा है हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की। भारत एक विविधताओं से भरा हुआ देश है, जहां पर बहुत सारी बोलियां और भाषाएं बोली जाती हैं। इन सभी के अंदर हिंदी भाषा का बहुत ज्यादा महत्व है जोकि हमारी मातृभाषा भी है।
यह भारत के कई करोड़ लोगों को एक सूत्र में बांधने का काम भी करती है। हर साल 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिंदी दिवस मनाने के अतीत पर गौर करें तो पता चलता है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। हिन्दी दिवस का उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में परिचित कराने के साथ इसके प्रचार प्रसार को बढ़ावा देना है। समकालीन भारत में हिंदी भाषा का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि सरकारी संचार में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
यह इसे देश की प्रशासनिक प्रक्रियाओं और सार्वजनिक सेवाओं का एक महत्वपूर्ण अंग बनाता है। इतना ही नहीं, देश भर के शैक्षणिक संस्थान हिंदी को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर रहे हैं। इससे छात्रों में राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक जागरूकता का भाव जागृत होता है। भारत में मीडिया के क्षेत्र में हिंदी का बोलबाला है। यह बात भारतीय फिल्म, संगीत और टेलीविजन उद्योग के लिए विशेष रूप से सच है। बॉलीवुड अनगिनत हिंदी फिल्में बनाता है। ये फिल्में व्यापक रूप से प्रशंसित होती हैं और वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय होती हैं, जो न केवल भारतीय दर्शकों को, बल्कि वैश्विक दर्शकों को भी प्रभावित करती हैं। संगीत और साहित्य पर भी हिंदी का गहरा प्रभाव है। हर साल इस भाषा में अनगिनत गीत, किताबें और कविताएँ लिखी और प्रकाशित की जाती हैं। हिंदी के इस व्यापक प्रयोग ने आधुनिक भारत में इसकी प्रासंगिकता और आकर्षण को बनाए रखने में मदद की है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि कई फ़िल्मों और गानों में हिंग्लिश का इस्तेमाल होता है, जो हिंदी और अंग्रेज़ी का मिश्रण है।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि अंग्रेजी को संपर्क भाषा के रूप में स्वीकार करते-करते हम अंग्रेजी के गुलाम हो चुके हैं। जिसकी वजह से हम ही अपनी हिन्दी भाषा को वह मान-सम्मान नहीं दे पा रहे हैं, जो भारत और देश की भाषा के प्रति हर देशवासियों के नजर में होना चाहिए। हम या आप जब भी किसी बड़े होटल या बिजनेस क्लास के लोगों के बीच खड़े होकर गर्व से अपनी मातृभाषा का प्रयोग कर रहे होते हैं तो उनके दिमाग में आपकी छवि एक गंवार की बनती है। घर पर बच्चा अतिथियों को अंग्रेजी में कविता आदि सुना दे तो माता-पिता गर्व महसूस करने लगते हैं। इन्हीं कारणों से लोग हिन्दी बोलने से घबराते हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए हिंदी को अपनाना और बढ़ावा देना ज़रूरी है। इससे विविध भाषाई समुदायों के बीच प्रभावी संचार भी सुनिश्चित होता है। अमेज़न,मिंत्रा और फ्लिपकार्ट जैसे कई विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पहले ही अपने प्लेटफ़ॉर्म को हिंदी और कुछ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के अनुकूल बना चुके हैं। यह विश्व पटल पर आर्थिक एवं व्यापार क्षेत्र में हिंदी की बढती हुई साख एवं दखल का ही एक सुखद संकेत है।
प्रदीप कुमार वर्मा
लेखक स्वतंत्र पत्रकार है।