भारत में रह रहे नेपाली छात्र अनिश्चितता में, स्वदेश वापसी की योजना स्थगित

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नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) भारत में पढ़ाई कर रहे नेपाली छात्रों ने अपने देश में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक उथल-पुथल के चलते दशहरा पर घर लौटने की अपनी योजनाएं टाल दी हैं और वे लगातार अपने परिजनों से संपर्क कर उनकी कुशलक्षेम जानने का प्रयास कर रहे हैं।

नेपाल में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के एक दिन बाद बुधवार सुबह से ही सेना के जवान प्रतिबंध के आदेश लागू करने और शांति बहाल करने के लिए काठमांडू और अन्य शहरों में तैनात हो गए। इस प्रदर्शन के कारण के पी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है।

मंगलवार रात 10 बजे पूरे देश के सुरक्षा अभियानों की कमान संभालने वाली नेपाली सेना ने ओली के पद छोड़ने के घंटों बाद भी जारी अशांति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर शहरों समेत देश भर के कई क्षेत्रों में प्रतिबंध लगा दिए हैं।

इन हालात को देखते हुए, भारत में रह रहे नेपाली छात्र असमंजस और चिंता की स्थिति में हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने बताया कि उन्होंने दशहरा के अवसर पर काठमांडू के पास अपने घर जाने की योजना रद्द कर दी है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं परिवार से मिलने के लिए उत्साहित था, लेकिन उन्होंने मुझे तब तक दिल्ली में ही रहने की सलाह दी है जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती।’’

आईआईटी धनबाद में पढ़ाई कर रहे नेपाल के बीरगंज निवासी मनोज चौधरी ने बताया कि राजधानी की तुलना में उनके गृहनगर में स्थिति अपेक्षाकृत शांत है, फिर भी उन्होंने घर लौटने की योजना स्थगित कर दी है।

उन्होंने कहा, ‘‘काठमांडू में हिंसा की जो खबरें आ रही हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। कई इमारतें जलाई गई हैं और छात्रों की जान गई है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। मैं उम्मीद करता हूं कि जल्द ही शांति बहाल होगी।’’

दिल्ली विश्वविद्यालय की एक अन्य छात्रा ने बताया कि उनके माता-पिता और भाई-बहन उनके साथ दिल्ली में रहते हैं, लेकिन दादा-दादी और अन्य रिश्तेदार नेपाल में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हर दिन प्रदर्शन के हिंसक होने की खबरें आती हैं। यह बहुत पीड़ादायक है कि हम नहीं जान पा रहे हैं कि वे कितने सुरक्षित हैं।’’

वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष के एक छात्र ने कहा कि मौत और तबाही की खबरों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि आवाज उठाने पर छात्रों की जान चली जाएगी। यह बेहद दुखद है। मैं तो दोस्तों से नेपाल की खूबसूरती के बारे में बात करता था, लेकिन अब जो हो रहा है, उसे देखकर बहुत दुख होता है।’’

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की एक पीएचडी छात्रा ने कहा कि उनका परिवार अपेक्षाकृत सुरक्षित ग्रामीण क्षेत्र में रहता है, लेकिन हिंसा की खबरों ने उन्हें विचलित किया है।

पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुकी छात्रा ने कहा, ‘‘जब अपने देश में कुछ गलत होता है, तो बाहर बैठकर बहुत असहाय महसूस होता है। हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन उम्मीद है कि यह विरोध किसी सकारात्मक बदलाव की राह खोलेगा।’’

एक अन्य छात्र ने बताया कि उन्होंने भी अनिश्चितकाल के लिए घर लौटने की योजना टाल दी है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस महीने के अंत में अपने माता-पिता से मिलने जाने वाला था, लेकिन अब वह जोखिम नहीं ले सकता। हर कुछ घंटे में परिजनों का हालचाल लेता हूं।’’

इस बीच, भारत ने भी अपने नागरिकों को नेपाल की यात्रा फिलहाल टालने की सलाह दी है, जब तक कि स्थिति सामान्य नहीं हो जाती।

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