बीते सप्ताह सरसों में गिरावट, सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सीपीओ एवं पामोलीन तेल में सुधार
Focus News 28 September 2025 0
नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह मंहगा होने से कारोबारी धारणा और मांग प्रभावित रहने के कारण सरसों तेल तिलहन में गिरावट दर्ज हुई।
दूसरी ओर त्योहारी मांग के बीच सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन तथा सट्टेबाजी की वजह से दाम ऊंचा बोले जाने के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।
सुस्त कामकाज और नये खरीफ मौसम की फसल आने के बीच बिनौला तेल के दाम स्थिर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल का दाम सोयाबीन तेल से 20-25 रुपये किलो महंगा बैठता है जिस कारण सरसों को लेकर कारोबारी धारणा और मांग प्रभावित हो रही है। कुछ लोगों ने सरसों के दाम में तेजी लाने का प्रयास किया था लेकिन सरकार और स्टॉकिस्टों ने अपने स्टॉक से सरसों की बिकवाली जारी रखकर इस प्रयास को विफल कर दिया। ऊंचे भाव की वजह से सरसों के लिवाल कम हैं इस वजह से सरसों तेल-तिलहन में गिरावट दर्ज हुई।
उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में सरसों तेल का थोक दाम 18-20 रुपये प्रति किलो टूटा है। लेकिन यह देखने की जरुरत है कि इस गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचा है या नहीं।
सूत्रों ने कहा कि नये खरीफ सोयाबीन फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पहले के 4,892 रुपये से बढ़ाकर अब 5,328 रुपये क्विंटल कर दिया गया है। हाजिर दाम इससे काफी कम है। इसलिए उस टूटे हाजिर दाम में अगर कुछ मामूली सुधार होता है तो उसे सुधार बताना उचित नहीं होगा। पिछले सप्ताहांत के मुकाबले दाम में मामूली सुधार के बावजूद अब भी हाजिर दाम एमएसपी से काफी नीचे बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि यही हाल मूंगफली का है जिसमें विगत सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सुधार है पर असलियत में नये एमएसपी से मूंगफली का हाजिर दाम लगभग 25 प्रतिशत नीचे है।
सूत्रों ने कहा कि हाजिर बाजार में सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली और बिनौला के दाम काफी कम हैं। ये दाम इतने कम होते हैं कि कई बार किसानों की लागत भी नहीं निकलती। सरकार को इस बात पर विचार करना होगा कि केवल एमएसपी बढ़ाने से इन देशी तेलों का बाजार नहीं बढ़ता।
उन्होंने कहा कि सट्टेबाजी के कारण विदेशों में सीपीओ के दाम ऊंचा बोले जा रहे हैं। आयात कर सीपीओ से पामोलीन बनाने का खर्च, सोयाबीन रिफाइंड बनाने के खर्च से 4-5 रुपये किलो मंहगा बैठता है। इस वजह से पाम-पामोलीन में विगत सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में सुधार है। मगर इस दाम पर इन तेलों का लिवाल मिलना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में आई गिरावट से भी खाद्यतेल कीमतों में सुधार आया।
बीते सप्ताह सरसों दाना 125 रुपये की गिरावट के साथ 7,050-7,100 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों दादरी तेल 300 रुपये की गिरावट के साथ 14,950 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 45-45 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,515-2,615 रुपये और 2,515-2,650 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 100-100 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,600-4,650 रुपये और 4,300-4,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
इसी तरह, सोयाबीन दिल्ली तेल का दाम 50 रुपये के सुधार के साथ 13,450 रुपये, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 150 रुपये के सुधार के साथ 13,150 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 25 रुपये के सुधार के साथ 10,275 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमत भी सुधार दर्शाते बंद हुए। मूंगफली तिलहन 50 रुपये के सुधार के साथ 5,375-5,750 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 200 रुपये के सुधार के साथ 13,000 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 20 रुपये के सुधार के साथ 2,145-2,445 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 25 रुपये के सुधार के साथ 11,750 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 100 रुपये के सुधार के साथ 13,500 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव भी 75 रुपये के सुधार के साथ 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुस्त कामकाज के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम 12,550 रुपये प्रति क्विंटल पर अपरिवर्तित बने रहे।