नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत का इस्पात उद्योग आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कुछ वाहन कलपुर्जों में इस्तेमाल होने वाले विशेष उच्च-श्रेणी के इस्पात के विकास पर विचार कर रहा है।
भारत लंबे समय से उच्च-श्रेणी के इस्पात के लिए आयात पर निर्भर रहा है, जो वाहन कलपुर्जों के अलावा रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। देशभर में शुरू की जा रही बड़ी परियोजनाओं के कारण उच्च-श्रेणी के इस्पात की मांग बढ़ रही है।
यहां सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, इस्पात और भारी उद्योग मंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि मार्च, 2025 तक, वाहनों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) योजना के तहत कंपनियां पहले ही 29,576 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश कर चुकी हैं, जिसमें नई उत्पादन सुविधाएं और परिचालन प्रौद्योगिकी स्थापित करना शामिल है।
उन्होंने बताया कि पीएलआई योजना ने विनिर्माण, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और अनुसंधान एवं विकास में हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी सृजित किए हैं।
कुमारस्वामी ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘ इस्पात मंत्री होने के नाते, मैं इस अवसर पर भारतीय वाहन उद्योग को आश्वस्त करना चाहूंगा कि इस्पात मंत्रालय वाहन क्षेत्र को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगा और ‘मेक इन इंडिया’ को और मजबूती से बढ़ावा देगा… इस्पात उद्योग विशिष्ट इस्पात विकसित करने पर विचार कर रहा है, जो वाहन क्षेत्र के कुछ कलपुर्जों के लिए आवश्यक है, ताकि इस क्षेत्र को अपनी विशिष्ट उच्च-श्रेणी के इस्पात की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर न रहना पड़े।’’
उन्होंने कहा कि सरकार सक्षम नीतियां तो बना सकती है, लेकिन उद्योग, अनुसंधान संस्थान और स्टार्टअप ही नवाचार को गति देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए वाहन विनिर्माताओं, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और ऊर्जा कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है कि भारत अपने घरेलू स्थिरता लक्ष्यों को पूरा करे और टिकाऊ परिवहन समाधान का वैश्विक निर्यातक भी बने।’’
मंत्री ने सभी हितधारकों से वृद्धिशील परिवर्तनों से आगे सोचने का आग्रह किया और उनसे साहसिक कदम उठाने, नवोन्मेषण को अपनाने और भारत को दुनिया के लिए टिकाऊ परिवहन का एक उदाहरण बनाने का आग्रह किया।
सितंबर 2021 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25,938 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ वाहन और वाहन कलपुर्जों के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी।