ग्वांगजू (दक्षिण कोरिया), 12 सितंबर (भाषा) विश्व चैंपियनशिप की रिकर्व तीरंदाजी में पदक जीतने का भारत का इंतजार बढ़ गया क्योंकि देश की आखिरी उम्मीद 15 वर्षीय गाथा खडके शुक्रवार को यहां प्री-क्वार्टर फाइनल में दुनिया की नंबर एक लिम सी-हियोन से हार गईं।
इससे पहले कि गाथा कुछ समझ पाती पलक झपकते ही सब कुछ खत्म हो गया। पेरिस ओलंपिक की तिहरी स्वर्ण पदक विजेता कोरियाई खिलाड़ी ने घरेलू दर्शकों के सामने बिना किसी परेशानी के यह मैच 6-0 से जीत लिया।
भारत ने आखिरी बार 2019 में विश्व चैंपियनशिप में रिकर्व वर्ग में पदक जीता था। तब तरुणदीप राय, अतनु दास और प्रवीण जाधव की पुरुष टीम ने डेन बॉश में रजत पदक हासिल किया था।
दूसरी बार किसी सीनियर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले रही गाथा कोरिया की खिलाड़ी के सामने नहीं टिक पाई। लिम ने तीन परफेक्ट 10 के साथ शुरुआत की। गाथा केवल दो 9 और एक 8 के साथ का जवाब दे सकी, जिससे उन्हें पहला सेट 26-30 से हारना पड़ा।
गाथा इसके बाद भी अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई और इस तरह से भारतीय रिकर्व तीरंदाज लगातार तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप से खाली हाथ लौटे।
दीपिका कुमारी के एक और निराशाजनक प्रदर्शन ने इस कहानी को और भी पुख्ता कर दिया, जो पहले ही दौर में बाहर हो गईं।
छह बार की विश्व चैंपियनशिप में भाग ले चुकीं और चार बार की ओलंपियन दोनों स्पर्धाओं में अभी भी अपने पहले पदक की तलाश में हैं। वह इंडोनेशिया की डायनांडा चोइरुनिसा से पांच सेटों में हार गईं।
देश के शीर्ष रिकर्व तीरंदाज ओलंपियन धीरज बोम्मादेवरा का प्रदर्शन भी उतना ही निराशाजनक रहा। वह क्वालीफिकेशन राउंड में खराब प्रदर्शन के बाद धीरज 39वें स्थान पर खिसक गए और तोक्यो ओलंपिक चैंपियन मेटे गाजोज के खिलाफ अपने पहले मुकाबले में हारकर बाहर हो गए।
भारत को एक बार फिर केवल कम्पाउंड वर्ग में ही पदक मिले, जिसमें ऋषभ यादव, प्रथमेश फुगे और अमन सैनी का टीम स्पर्धा में जीता गया ऐतिहासिक स्वर्ण पदक भी शामिल है। यादव ने ज्योति सुरेखा वेन्नम के साथ मिलकर मिश्रित टीम स्पर्धा में रजत पदक भी जीता।