
बदलती हुई जीवनशैली और व्यस्त दिनचर्या के कारण हमारे समाज में कब्ज एक आम समस्या का रूप ले चुका है , जिससे हर दूसरा या तीसरा व्यक्ति जूझ रहा है। जब सप्ताह में खुलकर तीन बार से कम मल त्याग होता है तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा में कब्ज यानि constipation कहते हैं। कब्ज किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन अधिकतर मामलों में यह अधेड़ उम्र के लोगों में देखा जाता है। कब्ज होने पर नियमित रूप से मल त्याग नहीं कर पाते हैं या पूरी तरह से पेट साफ नहीं हो पाता है। कम मात्रा में पानी पीने से कब्ज की शिकायत होती है हालांकि, कब्ज के मुख्य कारणों में नशे की वस्तुओं का सेवन करना, बाहर की चीजों को मंगवा कर खाना, घर का भोजन ना करना, जंक फूड खाने की तरफ ज्यादा रूचि, उम्र बढ़ना, कुछ खास दवाओं का सेवन और शारीरिक गतिविधि कम या नहीं करना आदि शामिल है। कब्ज की गंभीरता हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है। कुछ लोगों को कब्ज की शिकायत मात्र कुछ दिनों के लिए होती है लेकिन दूसरों के लिए कब्ज क्रोनिक यानी पुरानी हो सकती है जिसके कारण उन्हें दर्द और दूसरी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
कब्ज के सामान्य लक्षण :-
कब्ज का सबसे बड़ा लक्षण है पेट में गैस होना, पेट फूलना और भूख न लगना। कभी-कभी हल्की उल्टी लगने की शिकायत भी हो सकती है। इसके अलावा, कब्ज के दूसरे भी अनेक लक्षण हो सकते हैं जैसे कि सांस से बदबू आना , लगातार नाक बहना , कुछ समय के अंतराल पर सिर में दर्द होना , चक्कर आना , जी मिचलाना , चेहरे पर मुंहासे निकलना , पेट में भारीपन महसूस होना , पाचन खराब होना , आंखों में जलन होना ,
कमजोरी महसूस करना , मन अशांत होना , पेट में मरोड़ होना , शौच के बाद भी पेट साफ नहीं होना , जुबान का रंग सफेद या मटमैला होना , कमर में दर्द होना , मुंह में छाले पडना , मल का सख्त होना , मल त्याग के दौरान जोर लगाना ,
नियमित रूप से मल त्याग नहीं होना , कभी- कभी मतली और उल्टी होना , पेट में सूजन होना ।
कब्ज के कारण :-
कब्ज कई कारणों से हो सकता है। इसके कारणों को ध्यान में रखते हुए कुछ सावधानियां बरतकर इस समस्या के खतरे से बचा जा सकता है। वैसे कब्जियत के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :- अपने डाइट में रेशेदार आहार की कमी होना , मैदा से बने उत्पादों का अत्यधिक सेवन करना , तेल में तली हुई चीजों का अत्यधिक सेवन , मिर्च और मसालेदार उत्पादों का ज्यादा सेवन करना , कम मात्रा में पानी पीना , तरल पदार्थों का कम मात्रा में सेवन करना , समय पर भोजन नहीं करना , रात में देर से भोजन करना , देर रात तक जागना , अधिक मात्रा में चाय और कॉफी का सेवन करना , तंबाकू या सिगरेट का सेवन करना , भोजन पचने से पहले दोबारा भोजन करना , चिंता होना या तनाव भरा जीवन जीना , हार्मोन्स में असंतुलन होना , थायरॉइड की परेशानी होना , लंबे समय तक दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना , समय से मल त्याग न करना , उसको रोके रखना एवं बाद में मल त्याग करने जाना , फाइबर से भरपूर भोजन न करना , पेशाब को अधिक समय तक रोक कर रखना , नींद पूरी नहीं होना , जरूरत से कम मात्रा में भोजन करना , शारीरिक परिश्रम नहीं करना , शरीर में पानी की कमी होना , खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाना , बगैर भूख लगे भोजन करना , बिना चबाए भोजन ग्रहण करना , बदहजमी होना , समय पर भोजन नहीं करना , अत्यधिक शराब का सेवन करना , ज्यादा उपवास रखना , शरीर में कैल्शियम और पोटैशियम की कमी होना , अधिक मात्रा में मांस का सेवन करना , आंत या लिवर की बीमारी से पीड़ित होना । अगर आप खुद को कब्ज से बचाना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए कारणों को ध्यान में रखकर कुछ सावधानियां बरत सकते हैं जैसे कि खाना खाने के तुरंत बाद लेटने के बजाय थोड़ी देर तक टहलना आदि।
कब्ज के कारण होने वाली आम समस्याएं :-
कब्ज के कारण अनेक परेशानियों का सामना करना पड सकता है जैसे कि भूख न लगना , छाती में जलन होना , पेट में भारीपन महसूस करना , मतली आना और उल्टी होना , आंतों में जख्म और सूजन होना , बवासीर, भगंदर और फिशर रोग का खतरा बढना । अगर आप कब्ज और कब्ज से होने वाली जटिलताओं से बचना चाहते हैं तो अपनी डाइट और दिनचर्या में सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता है।
कब्ज का इलाज/उपचार :-
कब्ज का इलाज कई तरह से किया जा सकता है जिसमें अपने चिकित्सक से चिकित्सा करवाने के साथ ही साथ अपनी जीवनशैली और डाइट में सकारात्मक बदलाव, योग व्यायाम, शामिल हैं। कब्ज को दूर करने के लिए रेशेदार वस्तुएं यानी फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना उचित है। इसके अलावा समय पर मल त्याग करना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आदि शामिल हैं। कब्ज को नजरअंदाज करने पर इसके लक्षण गंभीर रूप ले सकते हैं जिसके कारण समस्या और बढ़ सकती है। इसलिए कब्ज के लक्षणों को अनुभव करते ही आपको तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
होम्योपैथिक चिकित्सा के द्वारा कब्ज रोग को जड़ से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है किसी उपयोगी होम्योपैथिक चिकित्सक से मिलकर अपने लक्षण बताकर उनसे दवा लेना और अपनी दिनचर्या को नियमित रखना।
कब्ज के सामान्य लक्षण :-
कब्ज का सबसे बड़ा लक्षण है पेट में गैस होना, पेट फूलना और भूख न लगना। कभी-कभी हल्की उल्टी लगने की शिकायत भी हो सकती है। इसके अलावा, कब्ज के दूसरे भी अनेक लक्षण हो सकते हैं जैसे कि सांस से बदबू आना , लगातार नाक बहना , कुछ समय के अंतराल पर सिर में दर्द होना , चक्कर आना , जी मिचलाना , चेहरे पर मुंहासे निकलना , पेट में भारीपन महसूस होना , पाचन खराब होना , आंखों में जलन होना ,
कमजोरी महसूस करना , मन अशांत होना , पेट में मरोड़ होना , शौच के बाद भी पेट साफ नहीं होना , जुबान का रंग सफेद या मटमैला होना , कमर में दर्द होना , मुंह में छाले पडना , मल का सख्त होना , मल त्याग के दौरान जोर लगाना ,
नियमित रूप से मल त्याग नहीं होना , कभी- कभी मतली और उल्टी होना , पेट में सूजन होना ।
कब्ज के कारण :-
कब्ज कई कारणों से हो सकता है। इसके कारणों को ध्यान में रखते हुए कुछ सावधानियां बरतकर इस समस्या के खतरे से बचा जा सकता है। वैसे कब्जियत के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :- अपने डाइट में रेशेदार आहार की कमी होना , मैदा से बने उत्पादों का अत्यधिक सेवन करना , तेल में तली हुई चीजों का अत्यधिक सेवन , मिर्च और मसालेदार उत्पादों का ज्यादा सेवन करना , कम मात्रा में पानी पीना , तरल पदार्थों का कम मात्रा में सेवन करना , समय पर भोजन नहीं करना , रात में देर से भोजन करना , देर रात तक जागना , अधिक मात्रा में चाय और कॉफी का सेवन करना , तंबाकू या सिगरेट का सेवन करना , भोजन पचने से पहले दोबारा भोजन करना , चिंता होना या तनाव भरा जीवन जीना , हार्मोन्स में असंतुलन होना , थायरॉइड की परेशानी होना , लंबे समय तक दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना , समय से मल त्याग न करना , उसको रोके रखना एवं बाद में मल त्याग करने जाना , फाइबर से भरपूर भोजन न करना , पेशाब को अधिक समय तक रोक कर रखना , नींद पूरी नहीं होना , जरूरत से कम मात्रा में भोजन करना , शारीरिक परिश्रम नहीं करना , शरीर में पानी की कमी होना , खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाना , बगैर भूख लगे भोजन करना , बिना चबाए भोजन ग्रहण करना , बदहजमी होना , समय पर भोजन नहीं करना , अत्यधिक शराब का सेवन करना , ज्यादा उपवास रखना , शरीर में कैल्शियम और पोटैशियम की कमी होना , अधिक मात्रा में मांस का सेवन करना , आंत या लिवर की बीमारी से पीड़ित होना । अगर आप खुद को कब्ज से बचाना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए कारणों को ध्यान में रखकर कुछ सावधानियां बरत सकते हैं जैसे कि खाना खाने के तुरंत बाद लेटने के बजाय थोड़ी देर तक टहलना आदि।
कब्ज के कारण होने वाली आम समस्याएं :-
कब्ज के कारण अनेक परेशानियों का सामना करना पड सकता है जैसे कि भूख न लगना , छाती में जलन होना , पेट में भारीपन महसूस करना , मतली आना और उल्टी होना , आंतों में जख्म और सूजन होना , बवासीर, भगंदर और फिशर रोग का खतरा बढना । अगर आप कब्ज और कब्ज से होने वाली जटिलताओं से बचना चाहते हैं तो अपनी डाइट और दिनचर्या में सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता है।
कब्ज का इलाज/उपचार :-
कब्ज का इलाज कई तरह से किया जा सकता है जिसमें अपने चिकित्सक से चिकित्सा करवाने के साथ ही साथ अपनी जीवनशैली और डाइट में सकारात्मक बदलाव, योग व्यायाम, शामिल हैं। कब्ज को दूर करने के लिए रेशेदार वस्तुएं यानी फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना उचित है। इसके अलावा समय पर मल त्याग करना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आदि शामिल हैं। कब्ज को नजरअंदाज करने पर इसके लक्षण गंभीर रूप ले सकते हैं जिसके कारण समस्या और बढ़ सकती है। इसलिए कब्ज के लक्षणों को अनुभव करते ही आपको तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
होम्योपैथिक चिकित्सा के द्वारा कब्ज रोग को जड़ से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है किसी उपयोगी होम्योपैथिक चिकित्सक से मिलकर अपने लक्षण बताकर उनसे दवा लेना और अपनी दिनचर्या को नियमित रखना।
डॉ रुप कुमार बनर्जी
होमियोपैथिक चिकित्सक
होमियोपैथिक चिकित्सक