उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने ‘शूर्पणखा दहन’ कार्यक्रम पर रोक लगाई

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जबलपुर (मध्यप्रदेश), 28 सितंबर (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने शहर में दशहरे के अवसर पर चर्चित ‘हनीमून हत्याकांड’ की आरोपी सोनम रघुवंशी समेत 11 महिलाओं की तस्वीरें पुतले पर लगाकर ‘शूर्पणखा दहन’ के कार्यक्रम पर रविवार को रोक लगा दिया।

अदालत ने कहा कि ऐसे किसी भी कार्यक्रम से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का ‘उल्लंघन’ होगा।

अदालत ने राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि दशहरा उत्सव के दौरान रावण के पुतले के स्थान पर सोनम रघुवंशी या किसी अन्य का कोई पुतला नहीं जलाया जाए।

यह आदेश सोनम रघुवंशी की मां संगीता रघुवंशी द्वारा इंदौर के एक सामाजिक संगठन पौरुष (पीपुल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हैरेसमेंट) के खिलाफ दायर याचिका पर आया है।

देश में दशहरे पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है, लेकिन इंदौर में पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पौरुष ने असत्य पर सत्य की विजय के इस त्योहार पर ‘शूर्पणखा दहन’ कार्यक्रम की घोषणा की थी।

संस्था ने इस कार्यक्रम के लिए 11 सिरों वाला पुतला तैयार करना भी शुरू कर दिया था। अपने पति राजा रघुवंशी के हत्याकांड में गिरफ्तार सोनम रघुवंशी और इसी तरह की जघन्य वारदातों में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रही 10 अन्य कुख्यात महिलाओं के चित्र इन पुतलों पर लगाए गए हैं।

संगीता ने अपनी याचिका में दलील दी है कि प्रस्तावित पुतला दहन कार्यक्रम उनके परिवार की गरिमा को गंभीर नुकसान पहुंचेगा और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत उनके मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन होगा।

उन्होंने दलील दिया कि भले ही उनकी बेटी एक आपराधिक मामले में आरोपी हो लेकिन संस्था का कार्यक्रम सार्वजनिक अपमान का एक गैरकानूनी और असंवैधानिक कार्य है, जो संभावित रूप से परिवार की छवि को खराब कर सकती है और उनकी गोपनीयता का उल्लंघन कर सकती है।

राज्य के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच करने के बाद कानून के अनुसार इस मामले की जांच की जाएगी।

फैसला सुनाते हुए इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने कहा, ‘‘भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस तरह का कृत्य पूरी तरह से अस्वीकार्य होगा और प्रतिवादी संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का सहारा नहीं ले सकते।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘भले ही याचिकाकर्ता की बेटी एक आपराधिक मामले में आरोपी है और उसके एवं उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ प्रतिवादी की शिकायत जो भी हो, उसे इस तरह के पुतले जलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो निश्चित रूप से याचिकाकर्ता, उसकी बेटी के साथ-साथ उसके पूरे परिवार के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा।’’

अदालत ने जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त और थाना प्रभारी (एसएचओ) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस तरह का पुतला नहीं जलाया जाए और परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाले ऐसे किसी भी गैरकानूनी या असंवैधानिक कृत्य को रोका जाए।

पीठ ने संस्था को अन्य राज्यों में आपराधिक आरोपों का सामना कर रही किसी भी महिला का पुतला जलाने से भी रोक दिया और इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह की प्रथाएं स्वीकार्य नहीं हैं।

‘पौरुष’ के संयोजक अशोक दाशोर ने कहा, ‘‘हमने पहले पुतला जलाने को ‘व्यभिचार, अनैतिकता, मूल्यों की कमी और अभद्रता जैसे नकारात्मक गुणों’ के प्रतीकात्मक विनाश के रूप में उचित ठहराया था। हालांकि, अदालत के आदेश का हम उसका पालन करेंगे।’’

सोनम और उसके कथित प्रेमी राज कुशवाह समेत आठ लोगों को इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

सोनम के पति राजा मेघालय में हनीमून के दौरान 23 मई को लापता हो गए थे। उनका क्षत-विक्षत शव पूर्वी खासी हिल्स जिले के सोहरा क्षेत्र (जिसे चेरापूंजी भी कहा जाता है) में एक झरने के पास गहरी खाई में दो जून को मिला था।

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