अरुणाचल प्रदेश : भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी पर उन्हें याद किया गया

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ईटानगर, आठ सितंबर (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने सोमवार को प्रख्यात गायक भूपेन हजारिका को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया जिनके संगीत की मधुर धुनें आज भी पूरे पूर्वोत्तर भारत में एकता, शांति और सांस्कृतिक गौरव की प्रेरणा देती हैं।

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने हजारिका के चिरकालिक प्रभाव को याद करते हुए कहा कि उनके गीतों में सीमाओं से परे दिलों को जोड़ने की ताकत थी।

खांडू ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “महान भारत रत्न भूपेन हजारिका जी को उनकी जयंती पर नमन। आपके गीतों ने खूबसूरती से पूर्वोत्तर भारत और बाकी दुनिया के दिलों को जोड़ा। अरुणाचल प्रदेश में आपकी मधुर धुनें आज भी गूंज रही हैं, जो शांति, एकता और सांस्कृतिक गौरव की प्रेरणा देती हैं। आपकी अमर विरासत पीढ़ियों को जोड़े रखे।”

उप मुख्यमंत्री चौना मीन ने भी श्रद्धांजलि दी और हजारिका को एक शाश्वत सांस्कृतिक प्रतीक बताया।

उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “मैं महान गायक ‘ब्रह्मपुत्र के कवि’ और ‘सुधाकंठ’ भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनकी सदियों पुरानी विरासत उनकी जोशीली आवाज, शाश्वत गीतों और प्रेम, एकता और मानवता के सार्वभौमिक संदेश से हमें प्रेरित करती रहती है।”

मीन ने कहा कि हजारिका का संगीत केवल कला नहीं है; यह एक ऐसा सेतु है जो संस्कृतियों और पीढ़ियों को हमेशा के लिए जोड़ता है।

हजारिका का जन्म आठ सितंबर 1926 को वर्तमान अरुणाचल प्रदेश के लोअर दिबांग घाटी क्षेत्र के पास एक छोटे से गांव सादिया में हुआ था।

अरुणाचल प्रदेश सरकार 26 सितंबर को लोअर दिबांग घाटी जिले के रोइंग में एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम के साथ, भारत रत्न से सम्मानित भूपेन हजारिका की 100वीं जयंती मनाएगी।

हजारिका का अरुणाचल प्रदेश के बोलुंग गांव से गहरा नाता है, जिसे उनके जन्मस्थान के रूप में माना जाता है।

इस महान संगीतकार और उनके क्षेत्र के प्रति स्थायी योगदान के सम्मान में राज्य सरकार ने 2018 में बोलुंग में ‘स्टैच्यू ऑफ ब्रदरहुड’ का अनावरण किया था।

हजारिका का अरुणाचल प्रदेश से गहरा संबंध कई दशकों तक रहा। उन्होंने राज्य की खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध जनजातीय परंपराओं और लोगों की अदम्य भावना की प्रशंसा में कई यादगार गीत लिखे और गाए। उनकी रचनाओं में अक्सर भाईचारे, सहनशीलता और सांस्कृतिक सद्भाव की झलक मिलती थी, जिससे वह हर गांव-घर में लोकप्रिय नाम बन गए।

हजारिका का काम केवल संगीत तक सीमित नहीं था। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश की कला, सिनेमा और सांस्कृतिक आंदोलनों में भी सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने अपनी आवाज और रचनात्मक सोच से ऐसे कई कार्यों में योगदान दिया जिनसे इस सीमांत राज्य की अनोखी पहचान उजागर हुई।

आदिवासी विरासत का जश्न मनाने वाले लोकगीतों से लेकर एकता का संदेश देने वाले भावपूर्ण गीतों तक, उनकी रचनाएं सांस्कृतिक पहचान बन गईं जो पीढ़ियों को एक सूत्र में पिरोती रही हैं।

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