कोलकाता, 19 सितंबर (भाषा) रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में हाल ही में किए गए बदलाव से सरकार पर कोई खास राजकोषीय बोझ नहीं पड़ेगा।
रेटिंग एजेंसी की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने दर कटौती की वजह से अल्पावधि में सालाना करीब 48,000 करोड़ रुपये के शुद्ध नुकसान का अनुमान लगाया है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में कुल जीएसटी संग्रह 10.6 लाख करोड़ रुपये रहा था।
रिपोर्ट कहती है कि कुल जीएसटी संग्रह के अनुपात में यह राजस्व नुकसान बहुत अधिक नहीं है।
जीएसटी परिषद ने हाल ही में कर दरों को तर्कसंगत बनाते हुए पांच और 18 प्रतिशत के दो स्लैब में रखने का फैसला किया है। यह संशोधन 22 सितंबर से प्रभावी होने वाला है जिससे कई उत्पादों और सेवाओं की कीमतों में कमी आएगी।
क्रिसिल ने कहा कि दरों को तर्कसंगत बनाने से अधिक वस्तुएं और सेवाएं औपचारिक कर दायरे में आ सकेंगी, जिससे मध्यम अवधि में कर वसूली में मजबूती मिलेगी।
पहले 70-75 प्रतिशत जीएसटी राजस्व 18 प्रतिशत स्लैब से आता था, जबकि 12 प्रतिशत स्लैब से केवल पांच-छह प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब से 13-15 प्रतिशत राजस्व मिलता था।
रिपोर्ट के मुताबिक, 12 प्रतिशत स्लैब में शामिल वस्तुओं पर कर घटाने से राजस्व को कोई खास नुकसान नहीं होगा। वहीं, मोबाइल शुल्क जैसी तेजी से बढ़ती सेवाओं पर दरें पहले की ही तरह हैं।
वहीं, ई-कॉमर्स डिलीवरी जैसी नई सेवाओं को जीएसटी दायरे में शामिल कर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाया गया है।
क्रिसिल ने कहा कि कर में कटौती से उपभोक्ताओं की वास्तविक आय बढ़ेगी, जिससे मांग और जीएसटी संग्रह दोनों को प्रोत्साहन मिल सकता है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उत्पादक कर में बदलाव का लाभ उपभोक्ताओं को किस हद तक पहुंचाते हैं।