नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि सरकार का लक्ष्य पांच साल के भीतर भारत के वाहन उद्योग को दुनिया में अव्वल बनाना है।
गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के वाहन उद्योग का भविष्य बहुत उज्ज्वल है क्योंकि देश के पास प्रशिक्षित जनशक्ति है। देश में सभी बड़ी वाहन कंपनियां मौजूद हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘पांच साल के भीतर, हमारा लक्ष्य भारत के वाहन उद्योग को दुनिया में नंबर एक बनाना है… यह मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं।’’
गडकरी ने बताया कि भारत में विनिर्मित वाहनों की गुणवत्ता अच्छी है और लागत कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला था, तब भारतीय वाहन उद्योग का आकार 14 लाख करोड़ रुपये था। अब भारतीय वाहन उद्योग का आकार 22 लाख करोड़ रुपये है।’’
वर्तमान में अमेरिकी वाहन उद्योग का आकार 78 लाख करोड़ रुपये है। इसके बाद चीन (47 लाख करोड़ रुपये) और भारत (22 लाख करोड़ रुपये) का स्थान है।
गडकरी ने कहा कि भारत कोयला, पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन के आयात पर 22 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहा है और इस ईंधन के आयात के कारण, ‘‘हमें प्रदूषण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।’’
मंत्री ने कहा कि भारतीय कंपनियां इलेक्ट्रिक कार, बस और ट्रक बना रही हैं क्योंकि ये बहुत किफायती हैं। लिथियम-आयन बैटरी की लागत भी कम हो रही है। समय के साथ, पेट्रोल, डीजल और इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें समान हो जाएंगी।
मंत्री ने बताया कि भारत में इलेक्ट्रिक बसों की विनिर्माण क्षमता 50,000-60,000 प्रति वर्ष है, लेकिन देश की आवश्यकता प्रति वर्ष 1,00,000 बसों की है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इलेक्ट्रिक बसों का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है… निर्यात का भी एक बड़ा बाजार है। यह इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए एक अवसर है।’’
गडकरी ने कहा, ‘‘परिवहन मंत्रालय कृषि उपकरण वाहनों में फ्लेक्स-फ्यूल (एथनॉल मिश्रित पेट्रोल) इंजन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहा है।’’
ई-20 (पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण) को लेकर सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंता पर प्रतिक्रिया देते हुए, गडकरी ने कहा कि पेट्रोलियम क्षेत्र इस कदम के खिलाफ काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हर जगह लॉबी होती हैं, हित होते हैं…पेट्रोल लॉबी बहुत समृद्ध है।’’