भारत में टिकाऊ विमान ईंधन का निर्यातक बनने की क्षमताः नायडू

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नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने बुधवार को कहा कि भारत के पास टिकाऊ विमानन ईंधन (एसएएफ) का निर्यातक बनने की क्षमता है क्योंकि देश में 75 करोड़ टन से अधिक बायोमास और करीब 23 करोड़ टन अतिरिक्त कृषि अवशिष्ट उपलब्ध हैं।

बायोमास की श्रेणी में ऐसे प्राकृतिक संसाधन आते हैं जिनका इस्तेमाल ऊर्जा एवं ईंधन उत्पादन के लिए किया जा सकता है। इनमें कृषि अवशिष्ट, वानिकी उपज, पशु अपशिष्ट और अन्य जैविक पदार्थ शामिल हैं।

बायोमास, कृषि अवशिष्ट और इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल एसएएफ के उत्पादन का प्रमुख स्रोत हो सकते हैं। एसएएफ का हवाई जहाज में पारंपरिक ईंधन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) और यूरोपीय संघ के सहयोग से भारत के लिये एसएएफ व्यवहार्यता को लेकर एक अध्ययन किया है। इसमें घरेलू कच्चे माल की उपलब्धता, व्यवहार्य उत्पादन मार्ग, अवसंरचना, नीतिगत तैयारियां और मजबूत घरेलू बाजार बनाने की जरूरतों का आकलन किया गया है।

नायडू ने बयान में इस अध्ययन का जिक्र करते हुए कहा कि एसएएफ विमानन क्षेत्र को कार्बन-मुक्त करने के लिये एक व्यावहारिक और त्वरित समाधान है, जो पारंपरिक ईंधन की तुलना में कार्बन उत्सर्जन को 80 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

उन्होंने कहा कि इससे न केवल कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी और सालाना 2.0-2.5 करोड़ टन उत्सर्जन घटेगा, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी क्योंकि कृषि अवशिष्ट और बायोमास के लिये मूल्य शृंखला तैयार होगी।

हाल ही में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को पानीपत रिफाइनरी में एसएएफ के उत्पादन के लिये आईएससीसी कोर्सिया प्रमाणन मिला है जबकि कोटेकना इंस्पेक्शन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पहली एसएएफ प्रमाणन संस्था बनी है।

नायडू ने कहा कि भारत वर्ष 2027 तक एटीएफ में एक प्रतिशत, 2028 तक दो प्रतिशत और 2030 तक पांच प्रतिशत एसएएफ के मिश्रण का लक्ष्य लेकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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