दिल्ली उच्च न्यायालय ने की अभिषेक बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा

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नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेता अभिषेक बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए ऑनलाइन मंचों पर व्यावसायिक लाभ के लिए उनके नाम या तस्वीरों का अवैध रूप से इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी वेबसाइट्स और मंच कृत्रिम मेधा जैसी तकनीक से बच्चन के व्यक्तित्व की विशेषताओं, जिनमें उनका नाम, चित्र और हस्ताक्षर शामिल हैं, का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति तेजस करिया ने 10 सितंबर को पारित आदेश में कहा, ‘‘ ये विशेषताएं वादी के पेशेवर कार्य और उसके करियर से जुड़ी हैं। ऐसी विशेषताओं के अनधिकृत उपयोग से उनकी साख और प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है।’’

उच्च न्यायालय का यह आदेश शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चन ने एक पक्षीय निषेधाज्ञा प्राप्त करने के लिए प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला स्थापित किया है और सुविधा का संतुलन भी उनके पक्ष में है।

आदेश में कहा गया,‘‘ सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में है और यदि वर्तमान मामले में निषेधाज्ञा नहीं दी जाती है, तो इससे वादी और उनके परिवार को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि गरिमा के साथ जीवन जीने के उनके अधिकार के संबंध में भी अपूरणीय क्षति या हानि होगी।’’

‘सुविधा का संतुलन’ एक कानूनी सिद्धांत है जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि किसी मामले में अंतरिम राहत, जैसे कि निषेधाज्ञा या स्थगन दिया जाना चाहिए या नहीं। इस सिद्धांत के तहत, अदालतें यह मूल्यांकन करती हैं कि यदि राहत नहीं दी जाती है तो किस पक्ष को अधिक असुविधा या नुकसान होगा, और उस नुकसान की भरपाई कानूनी रूप से नहीं की जा सकती। सिद्धांत का लक्ष्य किसी भी पक्ष को अनुचित नुकसान से बचाते हुए, दोनों पक्षों के बीच निष्पक्षता बनाए रखना है।

अदालत ने यह अंतरिम आदेश बच्चन की याचिका पर पारित किया जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करने और ऑनलाइन मंचों को उनके नाम, तस्वीरों और एआई-जनित अश्लील सामग्री का अवैध रूप से इस्तेमाल करने से रोकने का अनुरोध किया था।

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