नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ‘सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग’ से गुजर रहा है और पाण्डुलिपि विरासत को संरक्षित करने के लिए ‘ज्ञान भारतम’ मिशन की परिकल्पना की गई है।
शेखावत ने यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि ज्ञान भारतम मिशन के तहत, देश भर में ‘हब-एंड-स्पोक मॉडल’ में 25 क्लस्टर, 20 क्षेत्रीय केंद्र और 10 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाने की परिकल्पना की गई है।
शेखावत ने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य ‘आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी पाण्डुलिपि विरासत’ को संरक्षित करना है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व होना चाहिए और भारत की पाण्डुलिपियों में निहित पारंपरिक ज्ञान के प्रसार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में विद्वान, विशेषज्ञ, शोधकर्ता और विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ता पाण्डुलिपि विरासत के संरक्षण, परिरक्षण, डिजिटलीकरण और अन्य पहलुओं पर चर्चा और विचार-विमर्श के लिए एक साथ भाग ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कार्यक्रम के दूसरे दिन एक सत्र को संबोधित करेंगे।
शेखावत ने कहा, ‘‘हमारा देश सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुज़र रहा है।’’
अपने संबोधन में, उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक ‘‘हमारी पाण्डुलिपि विरासत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा पठनीय प्रारूप में अनुवाद करने’’ में मदद कर सकती है ताकि इसका व्यापक प्रसार हो सके।