नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि पर्यावरण मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए शहरों और उद्योगों का विस्तार हो सके।
सीपीसीबी के 51वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को “चिंता का विषय नहीं समझा जाना चाहिए” बल्कि इसे नागरिक मूल्यों और दैनिक व्यवहार का हिस्सा बनना चाहिए।
उन्होंने याद दिलाया कि सीपीसीबी की स्थापना 1974 में उस समय हुई थी जब वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संबंधी चिंताएं बढ़ रही थीं।
मंत्री ने कहा, “आज, हम बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। हमारे पर्यावरण नियमों को भी विकसित करने की जरूरत है। सीपीसीबी के सामने चुनौती यह है कि वह अपने नियामक तंत्र को समाज की ज़रूरतों के अनुरूप कैसे बनाए, अपनी दक्षता को कैसे बढ़ाए और प्रभावी कार्यान्वयन कैसे सुनिश्चित करे।”
दिल्ली के विकास का हवाला देते हुए यादव ने कहा कि राजधानी की आबादी 1970 के दशक के मध्य में लगभग 30-40 लाख से बढ़कर आज लगभग चार करोड़ हो गई है, जिससे यमुना पर भारी दबाव पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “भले ही हम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए मानक तय कर दें, लेकिन जब तक हम बढ़ते भार के अनुरूप क्षमता का विस्तार नहीं करते, प्रदूषण बढ़ता ही रहेगा।”
मंत्री ने मजबूत प्रयोगशालाओं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और अन्य अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग तथा नयी प्रौद्योगिकियों के अनुमोदन और विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि दक्षता विकास से यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि प्रदूषण नियंत्रण समाधानों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कंपनियां उपलब्ध हों। उन्होंने कहा, “हमें व्यापक दक्षता विकास की आवश्यकता है ताकि शहर और उद्योग पर्यावरणीय मानदंडों को पूरा करते हुए भी विस्तार कर सकें।”
मंत्री ने कहा कि भारत की पांच हजार अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा के लिए अधिक उत्पादन की आवश्यकता है, लेकिन विकास को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ-साथ चलना होगा।