नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों पर प्रतिबंध को चुनिंदा तरीके से लागू करने पर सवाल उठाया और कहा कि अगर स्वच्छ हवा राष्ट्रीय राजधानी के ‘कुलीन’ निवासियों का अधिकार है, तो यह पूरे देश के नागरिकों को भी मिलना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों के विनियमन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अगर एनसीआर के शहर स्वच्छ हवा के हकदार हैं, तो दूसरे शहरों के लोग क्यों नहीं?… जो भी नीति होनी चाहिए, वह अखिल भारतीय स्तर पर होनी चाहिए। हम केवल इसलिए दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते कि वे देश के कुलीन नागरिक हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछली सर्दियों में अमृतसर में था और वहां प्रदूषण दिल्ली से भी बदतर था। अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो उन्हें पूरे देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’’
न्याय मित्र, वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा, ‘‘कुलीन वर्ग अपना ख्याल खुद रखता है। प्रदूषण होने पर वे दिल्ली से बाहर चले जाते हैं।’’
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त करने को कहा।
विधि अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय पर्यावरण आभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) प्रदूषण कम करने के लिए ‘हरित पटाखों’ की व्यवहार्यता की जांच कर रहा है।
पटाखा निर्माताओं की ओर से पेश वकील ने नीरी को अनुमेय रासायनिक संरचना निर्धारित करने का सुझाव दिया, जिसे उद्योग पटाखों के डिजाइन में शामिल कर सके।
हालांकि, कुछ पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिबंधों के साथ-साथ, अधिकारी उनके मौजूदा लाइसेंस भी रद्द कर रहे हैं।
पीठ ने टिप्पणी की कि अधिकारियों द्वारा पटाखों के लाइसेंस रद्द करने के संबंध में यथास्थिति बनी रहेगी और उन्होंने मामले की सुनवाई 22 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।