टीम में अंदर बाहर होते रहना निराशाजनक था : अमित मिश्रा

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नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) भारत के अनुभवी लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने बृहस्पतिवार को क्रिकेट के हर प्रारूप से संन्यास ले लिया और उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान दो अलग दौर का सामना किया।

पहला दौर महान स्पिनर अनिल कुंबले की जगह लेने के साथ उनसे की जाने वाली अपेक्षाओं के भारी दबाव से निपटने में बीता तो दूसरा दौर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा के आने से हुई प्रतिस्पर्धा से निपटने का रहा। इसमें से ऑफ स्पिनर अश्विन जहां महेंद्र सिंह धोनी की योजना का हिस्सा रहे तो वहीं जडेजा विराट कोहली की रणनीति के अनुकूल रहे।

लेकिन लेग ब्रेक गेंदबाजी करने वाले और शानदार गुगली फेंकने वाले मिश्रा को अश्विन और जडेजा के साथ तीसरे विकल्प के रूप में काफी कम इस्तेमाल किया जाता।

मिश्रा ने 22 टेस्ट में 76 विकेट लिए हैं। उन्होंने प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के बाद पीटीआई वीडियो से कहा, ‘‘यह बहुत निराशाजनक चीज थी। कभी आप टीम में होते हैं, कभी बाहर। कभी आपको अंतिम एकादश में खेलने का मौका मिलता, कभी नहीं। निश्चित रूप से यह निराशाजनक है। इसमें कोई शक नहीं कि मैं कई बार निराश हुआ। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आपका सपना तो भारत के लिए क्रिकेट खेलना होता है। आप राष्ट्रीय टीम के साथ हो और लाखों लोग टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हो। आप भारतीय टीम के 15 खिलाड़ियों में से एक हो तो मैंने सकारात्मक बने रहने की कोशिश की। ’’

मिश्रा ने स्वीकार किया कि भारतीय टीम में अंदर-बाहर होते रहना मानसिक रूप से मुश्किल था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मैं निराश होता था तो मैं यही सोचता कि मैं कहां सुधार कर सकता हूं। चाहे वह मेरी फिटनेस हो, बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, मैंने हमेशा बेहतर होने पर ध्यान केंद्रित किया। जब भी मुझे भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला, मैंने अच्छा प्रदर्शन किया। मैं इससे बहुत खुश हूं। मैं कभी कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटा। ’’

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