प्रयागराज, आठ अगस्त (भाषा) इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के एक निर्णय को लेकर की गई तल्ख टिप्पणी को वापस लेने के उच्चतम न्यायालय के कदम का स्वागत किया है।
उच्चतम न्यायालय के शुक्रवार के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने यह महसूस किया कि उसने गलत आदेश दिया था जिसे वापस लेना एक बहुत अच्छा कदम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के चार अगस्त के आदेश ने उच्च न्यायालय की स्वतंत्रता को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया था। चूंकि उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय के अधिनस्थ नहीं है, इसलिए इस तरह की टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय को गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी टिप्पणी वापस ली।’’
उच्चतम न्यायालय ने चार अगस्त को अपने निर्णय में एक दीवानी वाद के मामले में आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति देने के न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के निर्णय की आलोचना की थी और उच्च न्यायालय प्रशासन को उन्हें आपराधिक मुकदमों के रोस्टर से हटाने का निर्देश दिया था।
शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसका इरादा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार को शर्मिंदा करने का नहीं था। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने दोहराया कि न्यायपालिका की गरिमा बनी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए ये टिप्पणियां की गई थीं।
न्यायालय ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश द्वारा इस मामले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किए जाने के बाद वह इन टिप्पणियों को हटा रहा है।
इससे पूर्व, बृहस्पतिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के एक समूह ने मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली को पत्र लिखकर एक पूर्ण बैठक बुलाने का आग्रह किया था।