असम में प्राथमिकी का मामला : न्यायालय ने पत्रकार अभिसार शर्मा को चार सप्ताह का अंतरिम संरक्षण दिया
Focus News 28 August 2025
नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पत्रकार अभिसार शर्मा को असम में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के मामले में चार सप्ताह के लिए अंतरिम संरक्षण प्रदान किया।
यह प्राथमिकी असम की नीतियों की कथित तौर पर आलोचना करने वाले एक वीडियो पोस्ट को लेकर दर्ज की गई है।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने असम में शर्मा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें गौहाटी उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।
बहरहाल, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 की वैधता को चुनौती देने वाली उनकी अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह धारा भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है।
पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक प्राथमिकी को चुनौती देने की बात है, हम इस पर विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि, हम याचिकाकर्ता (शर्मा) को चार सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम संरक्षण देने के लिए तैयार हैं ताकि वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें।’’
शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि बीएनएस की धारा 152 एक ‘‘सर्वव्यापी प्रावधान’’ बन गई है, जिसे किसी के भी खिलाफ लागू किया जा सकता है।
पीठ ने उनसे प्राथमिकी को उच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिए कहा।
सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले एक ऐसे ही लंबित मामले में हस्तक्षेप कर चुकी है।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम आपको संरक्षण देंगे, आप वहां (उच्च न्यायालय) जाइए। आप उच्च न्यायालय को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं?’’
सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।
पीठ ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय इस याचिका पर विचार भी कर ले तो भी एक और प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।
सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले से ही इसी तरह के मुद्दे को उठाने वाली एक अलग याचिका पर विचार कर रही है और ‘‘इसमें कुछ एकरूपता होनी चाहिए।’’
पीठ ने याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा। पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी रक्षा करेंगे।’’
सिब्बल ने कहा, ‘‘यह उचित नहीं है। पत्रकार ने क्या किया है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘समाज इस अदालत से उम्मीद रखता है। कृपया ऐसा न करें… हम क्या संदेश दे रहे हैं।’’
पीठ ने केवल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने के संबंध में याचिका पर नोटिस जारी किया।
वकील सुमीर सोढ़ी के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि शर्मा द्वारा अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो के खिलाफ एक व्यक्ति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है। वीडियो में उन्होंने एक निजी कंपनी को सीमेंट कारखाना स्थापित करने के लिए आदिवासी बहुल दीमा हसाओ जिले में 3,000 बीघा जमीन आवंटित करने पर सवाल उठाया है।
याचिका में कहा गया है कि इस वर्ष 21 अगस्त को बीएनएस की धारा 152 सहित अन्य धाराओं में कथित अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई।
इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा अपलोड किए गए वीडियो में ऐसे आवंटन के संबंध में गौहाटी उच्च न्यायालय की टिप्पणी का हवाला दिया गया है।
याचिका में दावा किया गया है कि देश भर में पत्रकारों को महज सरकारी नीतियों और राजनीतिक घटनाक्रमों पर रिपोर्टिंग या टिप्पणी करने के लिए प्राथमिकियों और मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने पहले से ही सार्वजनिक रूप से मौजूद राजनीतिक भाषणों की रिपोर्टिंग और आलोचनात्मक टिप्पणी करके केवल भाषण और प्रेस की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग किया है।