शिमला : प्रकृति के चितेरे की मनमोहक तस्वीर

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  शाम का वक्त है, क्वीन ऑफ हिल्स शिमला में दिन भर के बाद थका मांदा सूरज पहाड़ों की चोटियों के पीछे छिपकर आराम करने को बेताब है और यही वह वक्त है जब प्रकृति अपना सबसे अनोखा जादू बिखेर रही है। शिमला और शायद सभी पहाड़ों में सांझ का आलम कुछ ऐसा होता है, मानो आकाश ने सिंदूरी रंग का कंबल ओढ़ लिया हो। लाल, केसरिया और गुलाबी रंगों के मेल से प्रकृति का चितेरा आसमान में एक ऐसी मनमोहक तस्वीर रचता है कि हम बस अचंभित से देखते रह जाते हैं । यह खूबसूरत नजारा केवल आंखों को सुकून नहीं देता, बल्कि दिल को भी शांति और ठहराव का अहसास कराता है।
 
            ऐसा लगता है जैसे ‘सूरज हुआ मद्धम, चांद जलने लगा..’, ‘केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश..’, ‘आ के तेरी बाहों में हर शाम लगे सिंदूरी, मेरे मन को महकाए तेरे मन की कस्तूरी..’, ‘सुरमई शाम इस तरह आए सांस लेते हैं जिस तरह साए..’, ‘वो शाम कुछ अजीब थी..’, ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन बदन चुराए..’ जैसे पुराने लोकप्रिय गीतों से लेकर नए दौर का ‘शाम गुलाबी, सहर गुलाबी पहर गुलाबी है, गुलाबी ये शहर..’ जैसे तमाम गाने गीतकारों ने किसी पहाड़ी शहर में बैठकर ही लिखे होंगे क्योंकि ऐसे अद्भुत दृश्य देखकर कलम अपने आप मचलने लगती है।
       वैसे तो, पहाड़ों की एक दूसरे से ऊंचाई में प्रतिस्पर्धा करती चोटियां दिन भर सूरज की किरणों से चमकती रहती हैं लेकिन शाम ढलते ही वे एक सुखमयी शांति में डूब जाती हैं मानो दिनभर की थकान उतारने के लिए वे ‘मेडिटेशन’ कर रही हों। हवा में हल्की ठंडक महसूस होने लगती है और पेड़ों की पत्तियों की सरसराहट और उन पर जमे पक्षियों का कलरव सूरज के लिए विदाई गीत सा प्रतीत होने लगता है। 
       यही वह समय होता है जब प्रकृति किसी बहरूपिए की तरह पल-पल में रंग बदलने लगती है जैसे कोई चित्रकार अपनी तूलिका से नए-नए रंग बिखेर रहा हो। पहले हल्का पीला, फिर सुनहरा, और फिर धीरे-धीरे गहरा सिंदूरी। यह रंग जब पेड़ों,पहाड़ों और घाटियों पर उतरते हैं तो ऐसा लगता है जैसे आसमान ने अपने प्रिय चांद के स्वागत के लिए दिन भर का सबसे सुंदर रूप सजा दिया है। आसमान की सुंदरता में चार चांद लगाते बादल भी दिन भर सफेद पहनावे के बाद शाम को सुनहरे रंग में रंग जाते हैं..और फिर जैसे ही शहर रात के आगोश में समाता है,पहाड़ों पर घरों की रोशनी सितारों सी दमकने लगती है।
        पहाड़ों पर पर्यटकों को भी शायद इसी समय का इंतजार रहता है और वे इस नजारे को अपने कैमरे और दिल में कैद करने की पुरजोर कोशिश करते हैं। यही वह पल है जब लगता है समय ठहर-सा गया है और जीवन की आपा धापी को भूलकर हर कोई प्रकृति के इस अनुपम सौंदर्य में खो गया है।
         सिंदूरी आसमान सिर्फ रंगों का खेल नहीं बल्कि एक अनुभूति है। यह क्षण हमें स्मरण कराता है कि जीवन में कितनी ही भागदौड़ क्यों न हो, कुछ पल ऐसे भी होते हैं, जो हमें रुककर शांति और सुकून से जीने का सबक देते हैं। खास बात यह है कि पहाड़ों की सांझ का यह नजारा हर बार नया सा लगता है। तो अगली बार जब आप किसी पहाड़ी स्थल पर जाएं और सूरज ढलने लगे तो रुकिए जरूर और महसूस कीजिए उस सिंदूरी छटा को और आनंद लीजिए प्रकृति की उस दिन की कहानी का… और हां, अपने दिल में प्रकृति के इस जादू को पूरी तरह भर भी लीजिए ताकि यह नजारा, यह अनुभव, यह सुकून, यह शांति, रंगों की यह जादूगरी और प्रकृति की चित्रकारी हमेशा आपके साथ रहे। *
संजीव शर्मा  
पीआईबी शिमला में सहायक निदेशक हैं