मां-बाप की सेवा ही प्रभु की सेवा है

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शक्ति सो सकती है, शक्ति का भाग्य सो सकता है, परन्तु आत्मा कभी भी नहीं सोती है। आत्मा तो कर्मों के मोह का अवतरण आने से सुप्त हो जाती है। इस आवाज को हटाकर हमें आध्यात्मिक जागरण करना है। हमनें जिंदगी की हर कला तो सीख ली है पर यदि धर्म की कला न सीखी तो हमारी सारी जिंदगी बेकार है। धर्म की कला सीखने से ही जीवन का कल्याण हो सकता है। हमें अपनी जिंदगी का निरीक्षण करना है। हमारी जिंदगी किधर जा रही है हमें अपने जीवन की गाड़ी को सुपथ पर ले जाना है, तभी हमारा जीवन सार्थक होगा।
हमारे जीवन पर मां-बाप का अनन्त उपकार है। मां ने हमें जन्म देकर बड़ा किया, अच्छा लालन पालन व पोषण किया है। अच्छे संस्कार देकर जीवन को संवारा। आज हम उन्हीं मां-बाप की सेवा करने से मुख मोड़ रहे हैं। मां-बाप को भूलते जा रहे हैं जो कि  अच्छी बात नहीं है। हमें मां-बाप की सेेवा करनी चाहिए, जिसे मां-बाप का आशीर्वाद मिल गया उससे सफलता दूर नहीं है। मां-बाप की सेवा ही प्रभु की सेवा है। यदि हम मां-बाप को भूल गये तो समझ लें धर्म को और भगवान को भूल गये। ज्ञानी पुरुष कहतेे हैं कि सब कुछ भूल जाना, मगर मां बाप को मत भूलना क्योंंकि जो व्यक्ति मां-बाप को याद रखता है, वही धर्म और भगवान को याद रख सकता है और तभी यह जीवन सही मायने में सार्थक साबित होगा।