आनलाइन गेमिंग: संयम और जागरूकता आवश्यक

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विवेक रंजन श्रीवास्तव
 
               आज आनलाइन गेमिंग युवाओं के जीवन का एक बड़ा हिस्सा बन गया है। जहां इसके कुछ सकारात्मक पहलू हैं, वहीं इसका स्वास्थ्य पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ रहा है ।
 
*नकारात्मक शारीरिक स्वास्थ्य*
    गतिहीन जीवनशैली तथा लंबे समय तक बैठे रहने से मोटापा, मांसपेशियों में अकड़न, पोस्चर खराब होना गर्दन और पीठ दर्द,हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है। आँखों पर दबाव ,स्क्रीन की नीली रोशनी और लगातार फोकस से आँखों में थकान, सूखापन और धुंधली दृष्टि , डिजिटल आई स्ट्रेन, के प्रकरण हो चुके है।
    नींद में खलल,  गेमिंग, खासकर रात में, नींद के पैटर्न को बुरी तरह प्रभावित करती है। नीली रोशनी मेलाटोनिन ,नींद के हार्मोन के उत्पादन को रोकती है, जिससे नींद न आना या खराब नींद होती है। इससे थकान, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आती है। लंबे गेमिंग सत्रों के कारण खान पान अनियमित हो जाता है और युवा जंक फूड पर निर्भर हो जाते  हैं या भोजन छोड़ देते हैं।
*मानसिक स्वास्थ्य* 
       गेमिंग की नशे जैसी लत के कारण  गेमिंग डिसऑर्डर देखने को मिलता है। कुछ युवा गेमिंग के कारण स्वयं पर नियंत्रण खो देते हैं, जिससे पढ़ाई, रिश्ते और दैनिक जिम्मेदारियाँ प्रभावित होती हैं। यह चिंता, अवसाद और अलगाव की भावना पैदा करती है। प्रतिस्पर्धी दबाव, ऑनलाइन उत्पीड़न साइबरबुलिंग, या सोशल मीडिया से तुलना करने से चिंता और  आत्मसम्मान की उपेक्षा बढ़ती है।
    आवेग नियंत्रण में कमी आती है। कुछ अध्ययनों में हिंसक गेम्स और आवेगी व्यवहार या क्रोध के बीच संबंध देखा गया है। वास्तविक दुनिया से पलायन करने की आदत हो जाती है। ज्यादा गेमिंग वास्तविक समस्याओं से निपटने के बजाय उनसे बचने का माध्यम बन जाती है।आमने-सामने, मिलने जुलने और सामाजिकता में कमी होती है।ऑनलाइन दोस्ती के बावजूद, वास्तविक दुनिया में मिलने-जुलने और सामाजिक कौशल विकसित करने का समय कम होता है।
    साइबरबुलिंग ,ऑनलाइन गेमिंग समुदायों में उत्पीड़न, नस्लवाद या लिंगभेद का सामना बढ़ता है, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
 
*सकारात्मक प्रभाव* 
        गेमिंग के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। कौशल  विकास होता है। कुछ गेम्स समस्या-समाधान, रणनीतिक सोच, त्वरित निर्णय लेने, हाथ-आँख के समन्वय और स्थानिक जागरूकता को बढ़ावा देते हैं।
         ऑनलाइन गेम्स टीम वर्क, सहयोग और संचार कौशल विकसित करने का मंच प्रदान कर सकते हैं। वे दुनिया भर के लोगों से जुड़ने और मित्रता करने में मदद कर सकते हैं विशेषकर उनके लिए जिन्हें सामाजिककरण में कठिनाई होती है।
*रचनात्मकता* 
          कई गेम्स कहानी कहने, संसाधन प्रबंधन और यहाँ तक कि ऐतिहासिक या वैज्ञानिक अवधारणाओं के बारे में सीखने को प्रोत्साहित करते हैं। कुछ गेम्स में रचनात्मक निर्माण तत्व भी होते हैं।
*तनाव से राहत* 
   आनलाइन गेमिंग से मनोरंजन सुनिश्चित होता है। संयमित रूप से खेलने पर गेम्स मनोरंजन, आराम और तनाव कम करने का एक प्रभावी साधन हो सकते हैं।
 
इसलिए स्वस्थ संतुलन  बनाएँ , समय सीमा तय करें, प्रतिदिन गेमिंग का स्पष्ट समय निर्धारित करें और उसका पालन करें।
           शारीरिक गतिविधियों को प्राथमिकता दें, नियमित व्यायाम और बाहरी गतिविधियों के लिए समय अवश्य निकालें। नींद पूरी करें , सोने से कम से कम एक घंटा पहले स्क्रीन बंद कर दें। अच्छी नींद की आवश्यकता समझें।
स्वस्थ भोजन जरूर लें । नियमित, संतुलित भोजन करें। गेमिंग के दौरान जंक फूड से बचें। वास्तविक दुनिया के संबंध बनाए रखें, परिवार और दोस्तों के साथ आमने-सामने समय बिताने को प्राथमिकता दें। सुरक्षा और सकारात्मकता आवश्यक होती है। सकारात्मक और सम्मानजनक बातचीत  करें। जागरूकता और संवाद बनाए रखें । माता-पिता को गेमिंग की दुनिया के बारे में जानना चाहिए और अपने बच्चों से इसके अनुभवों के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। संभावित नुकसान के संकेतों जैसे व्यवहार में बदलाव, स्कूल के काम में गिरावट, पर नज़र रखें।
        आनलाइन गेमिंग सदैव बुरी नहीं है पर संयम और जागरूकता महत्वपूर्ण है। जब गेमिंग अन्य जीवन गतिविधियों शारीरिक व्यायाम, पढ़ाई, परिवार, दोस्त, पर्याप्त नींद को प्रभावित करने लगे, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाती है। युवाओं को स्वस्थ डिजिटल आदतें विकसित करने में मदद करना और गेमिंग को जीवन का एक संतुलित हिस्सा बनाना ही इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक पहलुओं का लाभ उठाने की कुंजी है।