
मुंबई, 31 अगस्त (भाषा) मुंबई के आजाद मैदान में मनोज जरांगे के नेतृत्व में रविवार को तीसरे दिन भी मराठा आरक्षण आंदोलन जारी रहा। इस दौरान कार्यकर्ता ने अपना रुख कड़ा करते हुए कहा कि उनकी मांग संवैधानिक रूप से वैध है। वहीं, महाराष्ट्र के भाजपा के कुछ मंत्रियों ने कहा कि समुदाय को मौजूदा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे का लाभ उठाना चाहिए।
जरांगे मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर हैं। वह चाहते हैं कि मराठाओं को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कृषक जाति कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके, हालांकि ओबीसी नेता इसका विरोध कर रहे हैं।
जरांगे ने अपनी मागें पूरी न होने तक मुंबई न छोड़ने का संकल्प दोहराते हुए कहा, ‘‘सरकार के पास 58 लाख मराठाओं के कुनबी होने का रिकॉर्ड है।’’
उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद भी जरांगे के रुख में कोई नरमी नहीं आई है।
जरांगे ने कहा, ‘‘कल से मैं पानी पीना बंद कर दूंगा क्योंकि सरकार मेरी मांगें नहीं मान रही है। जब तक आरक्षण की मांग पूरी नहीं हो जाती, मैं वापस नहीं जाऊंगा। चाहे कुछ भी हो जाए, हम ओबीसी श्रेणी के तहत मराठाओं को आरक्षण दिलाकर रहेंगे।’’
इस बीच, महाराष्ट्र के मंत्री व भाजपा नेताओं चंद्रकांत पाटिल और नितेश राणे ने कहा है कि मराठा समुदाय को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने के बजाय मौजूदा ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ मिलना चाहिए। पाटिल और राणे दोनों ही मराठा समुदाय से हैं।
राणे ने राकांपा (एसपी) के विधायक रोहित पवार पर जरांगे के आंदोलन को वित्तपोषित करने का भी आरोप लगाया। रविवार को सोलापुर जिले में पत्रकारों के साथ बातचीत में चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मराठाओं को कभी छुआछूत का सामना नहीं करना पड़ा और वे जातिगत रूप से पिछड़े नहीं हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भूमि जोत के घटने से वे आर्थिक समस्याओं में घिर गए हैं।
पाटिल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का रुख कभी कठोर नहीं रहा है, लेकिन कुछ संवैधानिक सीमाएं हैं।
पाटिल ने कहा, ‘‘आम तौर पर प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने आते हैं, मुख्यमंत्री नहीं जाते। हालांकि, फडणवीस का रुख नरम है और वह भी मिलने जा सकते हैं। लेकिन इससे समाधान निकलने की संभावना होनी चाहिए।”
इस बीच, राणे ने कहा कि सभी मराठाओं को कुनबी के रूप में वर्गीकृत करने और उन्हें ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की जरांगे की मांग पूरे महाराष्ट्र में स्वीकार्य नहीं होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर जरांगे अपनी मांग को मराठवाड़ा तक सीमित रखते हैं, तो सरकार इस पर विचार कर सकती है लेकिन कोंकण में, जहां से मैं आता हूं, वहां मराठाओं और कुनबियों की अलग-अलग पहचान है और वे अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं। मेरे क्षेत्र और अन्य इलाकों के मराठा ओबीसी लाभ प्राप्त करने के लिए कुनबी के रूप में मान्यता प्राप्त करने पर सहमत नहीं होंगे।’’
भाजपा नेता ने यह आरोप भी लगाया कि विपक्षी राकांपा (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने जरांगे के विरोध प्रदर्शन को वित्तपोषित किया था। उन्होंने कहा कि अगर जरांगे इससे इनकार करते हैं तो वह सबूत पेश कर सकते हैं।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार के स्तर पर समाधान तक पहुंचने के प्रयास जारी रहे और जल संसाधन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने शनिवार देर रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की।
फडणवीस ने कहा है कि सरकार संवैधानिक और कानूनी ढांचे के भीतर इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़ने की कोशिश कर रही है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि मराठा आंदोलन से संबंधित सभी प्रश्न उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से पूछे जाने चाहिए, जरांगे ने कहा कि ‘‘ठाकरे ब्रांड’’ और दोनों भाई (राज और शिवसेना-उबाठा प्रमुख उद्धव ठाकरे) अच्छे व्यक्ति हैं।
कार्यकर्ता ने दावा किया कि लेकिन वह (राज) ऐसे व्यक्ति हैं जो दूसरों की बातों पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं।
पिछले वर्ष जनवरी में, जरांगे का मुंबई तक का मार्च नवी मुंबई में रुक गया था, क्योंकि शिंदे के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने आश्वासन दिया था कि आरक्षण की मांगें पूरी की जाएंगी।
शनिवार को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जरांगे का आंदोलन समाप्त कराने में असफल रहा। जरांगे इस मांग पर अड़े रहे कि मराठवाड़ा के सभी मराठाओं को आरक्षण के उद्देश्य से कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए।
हजारों आरक्षण समर्थकों की उपस्थिति के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के आसपास का क्षेत्र छावनी जैसा लग रहा है। इनमें से कई लोग फुटपाथों और प्लेटफार्मों पर सो रहे हैं और खाना बना रहे हैं। उनका आरोप है कि बीएमसी ने व्यवस्था नहीं की। जरांगे ने अपील की कि आंदोलनकारियों को ‘‘भीड़’’ न समझा जाए।
उन्होंने अपने समर्थकों से निर्धारित स्थानों पर वाहन खड़े करने और ट्रेन से धरना स्थल पर आने का आग्रह किया।
उन्होंने यह भी कहा कि वाशी, चेंबूर, शिवड़ी, मस्जिद बंदर और अन्य स्थानों पर, जहां भी प्रदर्शनकारी अपने वाहन खड़े कर रहे हैं, उन्हें ‘फ़ूड ट्रकों’ के माध्यम से भोजन वितरित किया जाना चाहिए।
मुंबई यातायात पुलिस ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘आज़ाद मैदान में आंदोलन अब भी जारी है, आंदोलनकारी सीएसएमटी जंक्शन पर मौजूद हैं, जिससे क्षेत्र और आसपास के जंक्शनों पर यातायात प्रभावित हो रहा है। मोटर वाहन चालकों को सलाह दी जाती है कि वे इन मार्गों पर जाने से बचें और अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग अपनाएं।’’
शुक्रवार से ही, आजाद मैदान से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित सीएसएमटी और बीएमसी मुख्यालय के आसपास के इलाके में अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिल रहे हैं। युवा सड़कों पर खाना बना रहे हैं और आयोजकों या बीएमसी द्वारा मंगवाए गए टैंकरों के पानी से खुले में नहा रहे हैं। शनिवार को सात-आठ युवकों का एक समूह बीएमसी भवन के पास एक फव्वारे में नहाते देखा गया।
बीएमसी ने रविवार को बताया कि सफ़ाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगभग 800 सफ़ाई कर्मचारियों को तैनात किया गया है और मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के लिए 300 से ज़्यादा शौचालयों की व्यवस्था भी की गई है।
इसके साथ ही, पीने के पानी और कचरा संग्रहण की भी व्यवस्था की गई है।